कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच पानी पर छिड़ी सियासी जंग

दुनिया भर के विशेषज्ञ मानते हैं कि तीसरा विश्वयुद्ध जल संसाधनों पर कब्जा करने के लिए ही लड़ा जाएगा। वर्ष 1992 से सन 2000 तक वर्ल्ड बैंक के उपाध्यक्ष रहे डॉक्टर Ismail Sera-geldin ने कहा था कि 21वीं सदी में युद्ध पानी पर अधिकार जमाने के लिए लड़े जाएंगे, पेट्रोल और तेल के कुओं के लिए नहीं। इस दौर में ये बात बिलकुल सही साबित हो रही है। 
इस समय दुनिया के कई देश पानी को लेकर एक दूसरे से टकरा रहे हैं। जबकि भारत के दो राज्यों... यानी कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच पानी को लेकर राजनीतिक युद्ध चल रहा है। 

Background:

  • कुछ दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार को आदेश दिया था कि वो अगले 10 दिनों तक हर रोज़ कावेरी नदीं से 15 हज़ार क्यूसेक पानी तमिलनाडु को दे। सुप्रीम कोर्ट के इसी फैसले के बाद पूरे कर्नाटक में विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू हो गया है। 
  •  कर्नाटक सरकार ने एक सर्वदलीय बैठक बुलाकर सुप्रीम कोर्ट का आदेश मानने का फैसला किया है.. जिसके बाद कावेरी बेसिन में आने वाले इलाके मैसूर और मंड्या में हिंसक प्रदर्शनों की आशंका बढ़ ग

Why demand by Tamil Nadu

 तमिलनाडु ने अपने किसानों द्वारा उगाई जा रही सांबा यानी धान की फसल को बचाने के लिए 20 हज़ार क्यूसेक पानी की मांग की थी।
- सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए तमिलनाडु और कर्नाटक को Live and Let Live यानी जिओ और जीने दो के सिद्धांत का पालन करने की सलाह दी थी। 

तमिलनाडु का कहना है कि उसने कावेरी नदी के किनारे पर 3 लाख एकड़ यानी करीब 12 हज़ार वर्ग किलोमीटर ज़मीन को कृषि के लिए विकसित किया है। इसलिए तमिलनाडु की कावेरी नदी पर निर्भरता काफी ज्यादा है।

Views of Karnataka 

  • कर्नाटक का कहना है कि कावेरी नदी को लेकर पहले जितने भी समझौते हुए हैं..उनमें कर्नाटक का हक मारा गया है। 
  • कर्नाटक के कई राजनीतिक दलों, किसानों और संगठनों का कहना है कि तमिलनाडु को पानी देने उनके राज्य में पीने के लिए भी पानी नहीं बचेगा और कृषि के लिए भी संकट पैदा हो जाएगा।जबकि तमिलनाडु के किसान 15 हज़ार क्यूसेक पानी को भी कम बता रहे हैं। इन किसानों का कहना है कि इस पानी के इस्तेमाल से वो अपनी सांबा यानी धान की फसल को बचा नहीं पाएंगे.. उन्हें ज़्यादा पानी की ज़रूरत है।
  •  कर्नाटक सरकार का तर्क है कि तमिलनाडु को इतना पानी देने के बाद राज्य में लोगों के पास पीने के लिए भी पर्याप्त पानी नहीं बचेगा।
  • कर्नाटक के सरकारी विभाग का दावा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कर्नाटक के चमराज नगर..मैसूर..मंड्या..हसन और बैंगलुरु इलाकों में पानी की भारी किल्लत हो जाएगी।

History of dispute

दरअसल, कावेरी नदी के पानी को लेकर दोनों राज्यों के बीच का ये विवाद करीब 135 साल पुराना है। फिलहाल यह समझना जरूरी है कि कैसे जिंदगी देने वाला पानी लड़ाई झगड़े की वजह बन जाता है और लोगों की जान लेने लगता है। 

kaveri dispute

कावेरी नदी का उदग्म कर्नाटक के कोडागु में होता है...802 किलोमीटर लंबी ये नदी तमिलनाडु के 44 हज़ार वर्ग किलोमीटर और कर्नाटक के 32 हज़ार वर्ग किलोमीटर इलाके से होकर गुज़रती है। 


Basic problem of water:

  •  दुनिया भर में पानी की इतनी किल्लत है कि कोई भी राज्य और कोई भी देश अपने हिस्से का पानी किसी और को नहीं देना चाहता। यही वजह है कि दुनिया भर के विशेषज्ञ ये मानते हैं कि अगला विश्वयुद्ध पानी को लेकर हो सकता है। 
  • इस वक़्त दुनिया के 120 करोड़ लोगों को पीने का साफ पानी नहीं मिल रहा है।
  • दुनिया के हर 6 लोगों में से एक पानी के गंभीर संकट से गुज़र रहा है दुनिया में 43 देशों के 70 करोड़ लोग पानी की भयानक कमी से जूझ रहे हैं। 
  • दुनिया भर में भू-जल के 20% भंडार पूरी तरह सूखने की स्थिति में हैं। अनुमान है कि 2025 तक दुनिया में 180 करोड़ लोगों के पास पानी नहीं होगा।
  • World Economic Forum ने जल संकट को दुनिया के 10 बड़े खतरों में जगह दी है।
  • ये भी चिंता का विषय है कि दुनिया की 86 फीसदी से ज़्यादा बीमारियों की वजह दूषित पानी है।

Problem world over:

  • इराक और सीरिया में ISIS के खिलाफ चल रहा चल रहा युद्ध भी जलसंकट की देन माना जाता है।
  •  2011 में सीरिया में भयंकर सूखा पड़ा था और लोगों ने अपने अपने इलाकों से शहरों की तरफ पलायन शुरू कर दिया था। 
  • सूखे और बदहाली से परेशान लोग सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते रहे और धीरे धीरे ये प्रदर्शन गृहयुद्ध में बदल गया जिसने बाद में सीरिया में ISIS को जन्म दिया। 

 History of Kavery dispute:

  • कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी नदी को लेकर विवाद करीब 135 वर्ष पुराना है। 
  • भारत में ब्रिटिश राज के वक्त कर्नाटक princely state of mysore के तहत आता था जबकि तमिलनाडु मद्रास presidency का हिस्सा था
  •  कावेरी नदी को लेकर 1892 में  princely state of mysore और मद्रास presidency के बीच एक समझौता हुआ।
  • 1910 में मैसूर के राजा नलवडी कृष्णराजा वोडियर ने चीफ इंजीनियर  Sir. M.Visves-Varaya के साथ मिलकर कावेरी नदी पर एक बांध बनाने का प्रस्ताव दिया...जिसे मद्रास ने ठुकरा दिया।
  • इसके बाद 1924 में कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच  एक बार फिर एक समझौता हुआ..जिसका पालन दोनों राज्य कुछ वर्षों तक करते रहे। 
  • 1956 में भारत के राज्यों को पुनर्गठित किया गया इस पुनर्गठन के दौरान..तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल और पुद्दुचेरी का नक्शा बदल गया। 
  • इसके बाद कावेरी नदी के जल बंटवारे को लेकर तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल और पुद्दुचेरी आमने सामने आ गए। 
  • विवाद को देखते हुए 1970 कावेरी Fact Finding कमेटी बनाई गई..तमिलनाडु ने बड़े कृषि क्षेत्रों का हवाला दिया औऱ ज्यादा पानी मांगा..जबकि कर्नाटक ने ब्रिटिश काल में बनाई गई योजनाओं को इसके लिए दोषी ठहराया।
  • ज्यादा बड़ा कृषि क्षेत्र होने की वजह से तमिलनाडु अपने लिए ज्यादा पानी मांग रहा था..लेकिन कर्नाटक इसके लिए तैयार नहीं था।
  • विवाद का हल ना निकलने पर 1990 में कावेरी Water Disputes Tribunal की स्थापना की गई। 
  • Tribunal ने 16 वर्षों तक चली सुनवाई के बाद..2007 में अपना फैसला सुनाया। Tribunal ने दोनों राज्यों के बीच 1892 और 1924 में हुए समझौतों को सही पाया। 

Awars by Tribunal::

  • Tribunal ने कावेरी नदी का 58 प्रतिशत पानी तमिलनाडु को 37 प्रतिशत पानी कर्नाटक को... 4 प्रतिशत केरल को और 1 प्रतिशत पुद्दुचेरी को देने का फैसला सुनाया था। लेकिन इस फैसले को पूरी तरह मानने के लिए कभी भी कोई राज्य तैयार नहीं हुआ। 

Why this dispute after tribunal award:

  • जब कभी दक्षिण भारत के इन इलाकों में मॉनसून की बारिश अच्छी नहीं होती है...तो इन राज्यों के बीच कावेरी नदी को लेकर विवाद बढ़ जाता है।
  • पिछले 20 वर्षों में कई बार सुप्रीम कोर्ट और कावेरी Supervisory Committee को विवाद सुलझाने के लिए दखल देना पड़ा है।

Water situation in India

  • पानी के क्षेत्र में काम करने वाली एक बड़ी Consulting Firm EA Water की एक स्टडी के मुताबिक 2025 तक भारत, पानी की भयानक कमी वाला देश बन जाएगा।
  • जमीन से पानी निकालने वाले देशों में भारत पहले नंबर पर है। इसी वजह से भारत का ground water level तेज़ी से कम हो रहा है।
  • दुनिया के जल संकट वाले 20 बड़े शहरों में भारत के 5 शहरों के नाम शामिल हैं। ये शहर हैं दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, बैंगलोर और हैदराबाद।
  • सरकार ने माना है कि देश के करीब 3 लाख गांवों में पीने के पानी की सप्लाई नहीं है। करीब 66 हज़ार गांव ऐसे हैं जहां पीने का पानी काफी दूषित है।
  • 2011 की जनगणना के मुताबिक ग्रामीण भारत में पीने के पानी तक सिर्फ 35 फीसदी ग्रामीण आबादी की पहुंच ही है। करीब 22 फीसदी ग्रामीण परिवारों को पानी लेने के लिए एक किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ता है।
  • भारत के 9 राज्य यानी पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु... गंभीर जल संकट से जूझ रहे हैं।

Other River dispute in India:

  • 1969 में गोदावरी नदी के जल बंटवारे को लेकर महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश कर्नाटक मध्य प्रदेश और ओडिशा आमने-सामने आ गए थे। 1969 में ही महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के बीच कृष्णा नदी को लेकर लड़ाई चली। 
  • 1969 से लेकर 1979 तक नर्मदा नदी को लेकर गुजरात, मध्यप्रदेश और राजस्थान एक दूसरे से टकराते रहे। 
  • 1986 में हरियाणा और पंजाब, रावी और ब्यास नदी के जल बंटवारे के विवाद को लेकर पहली बार ट्राइब्यूनल पहुंचे, लेकिन ये विवाद आज तक नहीं सुलझा है।
  • कावेरी नदी के जल बंटवारे को लेकर कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और पुड्डचेरी के बीच अब भी कानूनी लड़ाई चल रही है। 
  • वंसधारा नदी के जल बंटवारे को लेकर आंध्र प्रदेश और ओडिशा को भी ट्राइब्यूनल जाना पड़ा।
  • - इसी तरह गोवा, कर्नाटक औऱ महाराष्ट्र के बीच महादेवी नदी को लेकर विवाद चल रहा है।

River dispute in other parts of the world:

  •  दुनिया में भी कई जगहों पर नदियों के जल बंटवारे को लेकर कई देश आमने-सामने हैं। 
  • 2011 में सीरिया के दारा शहर में युवाओं ने गवर्नर पर पानी के गलत बंटवारे के इल्जाम लगाकर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू किए थे। 
  • सीरियाई बॉर्डर पर टर्की की तरफ से बनाए जा रहे बांधों की वजह से आतंकी संगठन ISIS ने टर्की को कई बार धमकी दी थी
  • ISIS  का कहना है कि इससे रक्का शहर में मौजूद असद झील सूख रही है जो ISIS के लिए पानी का सबसे बड़ा ज़रिया है। इसे लेकर ISIS ने कई बार टर्की से बदला लेने की धमकी भी दी है। 
  • चीन भी यांग्ज़े नदी पर कई बांध बना रहा है, जिससे चीन के पड़ोसी देश कंबोडिया और वियतनाम नाराज़ हैं। 
  • ताजिकिस्तान अमु नदी पर बांध बना रहा है जिससे उसका पड़ोसी देश उज़्बेकिस्तान नाराज़ है, उज़्बेकिस्तान ने ताजिकिस्तान के साथ संबंध तोड़ने की धमकी भी दी है। 
  • सिंधु नदी पर भारत की प्रस्तावित हाइड्रो परियोजनाएं पाकिस्तान से हज़म नहीं हो रहीं और वो अक्सर अंतर्राष्ट्रीय मंच पर इसकी शिकायत करता रहता है।
  •  जॉर्डन नदी, इज़रायल और फिलिस्तीन के बीच चले आ रहे लंबे संघर्ष की गवाह रही है, दोंनों देश इस नदी पर अपना अपना हक जताते रहे हैं।
  • पानी का युद्ध भारत से लेकर दुनिया के अलग अलग कोनों में देखने को मिल रहा है।

Download this article as PDF by sharing it

Thanks for sharing, PDF file ready to download now

Sorry, in order to download PDF, you need to share it

Share Download