- परिवार कल्याण कार्यक्रम की विफलता के कारण आबादी को काबू करने में अभी कम से कम पांच दशक का समय और लगेगा।
- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रलय का अनुमान है कि जनसंख्या में वास्तविक कमी का दौर 2060 के बाद ही शुरू हो पाएगा। लेकिन तब तक देश की आबादी 1.8 अरब के करीब पहुंच चुकी होगी।
- स्वास्थ्य मंत्रलय और जनसंख्या स्थिरता कोष के ताजे आकलन के अनुसार यदि 2020 तक कुल प्रजनन दर 2.1 पर पहुंच जाती है तो फिर 60 के दशक में आबादी में कमी आने का दौर शुरू होगा।
- हालांकि जिस प्रकार से 55 फीसदी आबादी की हिस्सेदारी वाले छह बड़े राज्यों में प्रजनन दर अभी ऊंची बनी हुई है, उससे लगता नहीं कि 2020 तक भी यह लक्ष्य हासिल हो पाएगा।
- लोगों में जागरूकता बढ़ी है। लोग अब छोटे परिवार की आवश्यकता समझ रहे हैं। यदि 2020 की बजाय 2025-26 तक भी सरकार प्रजनन दर को 2.1 तक लाने में सफल रहती है तो इसके 35 सालों के बाद आबादी में वास्तविक कमी का दौर शुरू हो जाएगा और देश की जनसंख्या पर नियंत्रण हो सकेगा।