जनसंख्या नियंत्रण : चौथे राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-4) के आंकड़े

-    चौथे राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-4) के मुताबिक राष्ट्रीय स्तर पर परिवार नियोजन के उपाय पर्याप्त रंग ला रहे हैं। राष्ट्रीय स्तर पर यह घट कर 2.2 पर पहुंच गया है, जो कि 2.1 के लक्ष्य के बहुत करीब है

-    लेकिन बिहार में कुल प्रजनन दर (टीएफआर) राष्ट्रीय औसत से डेढ़ गुना ज्यादा है। उस पर से यह बड़ी जनसंख्या वाला राज्य है। इसलिए इसका असर राष्ट्रीय आंकड़ों पर पड़ता है। इसी दौरान उत्तर प्रदेश में टीएफआर की देश की सबसे तेज 1.1 अंक की गिरावट दर्ज की गई है।

-    अब यूपी में यह दर घट कर 2.7 पर पहुंच गई है। यह सर्वेक्षण 2015 तक के आंकड़ों पर आधारित है और पिछला राष्ट्रीय सर्वेक्षण नौ साल पहले किया गया था।

-    जनसंख्या नियंत्रण के प्रयास में भले ही देश भर में तेजी से कामयाबी मिल रही हो लेकिन बिहार में ये प्रयास बहुत लचर साबित हो रहे हैं। राष्ट्रीय स्तर पर जहां अब प्रत्येक महिला औसतन 2.2 बच्चे पैदा कर रही है, बिहार में कुल प्रजनन दर (टीएफआर) अब भी 3.4 बनी हुई है। 

-    जनसंख्या नियंत्रण के उपायों की वजह से अब देश के 15 राज्य दो या उससे कम प्रजनन दर पर पहुंच चुके हैं। 2.2 अंक के राष्ट्रीय औसत से अधिक सिर्फ उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड, मणिपुर, मेघालय और नगालैंड ही हैं।

-     इनमें भी मध्य प्रदेश 2.3 और राजस्थान 2.4 अंक के साथ राष्ट्रीय औसत के काफी करीब हैं। झारखंड 2.6 अंकों के साथ ऐसा दूसरा राज्य है जो चिंता बढ़ा रहा है।

-    उत्तर प्रदेश की प्रजनन दर 2.7 पर जरूर है, लेकिन इसने पिछले नौ साल में 1.1 अंक की देश की सबसे तेज रफ्तार कमी ला कर उम्मीद भी जगाई है। जबकि बिहार में इस दौरान सिर्फ 0.6 अंकों की कमी ही लाई जा सकी।

-    बिहार में परिवार नियोजन सेवा में जरूरी विकास नहीं हो सका है। अब तक सिर्फ 23 फीसद विवाहित महिलाओं तक ही आधुनिक परिवार नियोजन साधन पहुंच पा रहे हैं। जबकि राष्ट्रीय स्तर पर इसकी पहुंच दोगुने से ज्यादा है।"

-     "परिवार नियोजन एक जटिल सामाजिक विषय है। विशेष तौर पर बिहार को समझने की कोशिश करनी होगी कि यहां इसकी पहुंच कैसे बढ़ाई जाए। यह उपलब्धता का मामला है, या गुणवत्ता और लोगों की पसंद से जुड़ा है। सामाजिक परिस्थितियों को बेहतर तरीके से समझ कर इसकी ज्यादा सघन तैयारी करनी होगी।"

-    बिहार को ले कर विशेषज्ञ इसलिए भी ज्यादा चिंता जता रहे हैं, क्योंकि यह लंबे समय से विशेष राज्यों या ईएजी (एंपावर्ड एक्शन ग्रुप) में शामिल होने की वजह से केंद्र की शीर्ष प्राथमिकता में है।

Download this article as PDF by sharing it

Thanks for sharing, PDF file ready to download now

Sorry, in order to download PDF, you need to share it

Share Download