अंतरदेशीय जल मार्ग राष्ट्रीय कनेक्टिविटी में एक ‘गेम चेंजर’ साबित होगा।

जहाँ दुनिया भर के बंदरगाहों ने नुकसान दर्ज किया है, वहीँ भारतीय बंदरगाहों ने 2.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की और लगभग 6000 करोड़ रुपये का लाभ अर्जित किया है।

  •  वर्तमान में देश में 13 बड़े बंदरगाह हैं और 6 और बंदरगाहों के निर्माण की योजना है।
  •  भारत में 13 बङे बंदरगाह निम्न है –

कांडला -गुजरात  , मुंबई व न्हावा शेवा -महाराष्ट्र ,मार्मागाव-गोवा, न्यू मैंगलोर -कर्नाटक, कोच्चि-केरल ,विशाखापट्टनम-आंध्रप्रदेश, चेन्नई व तूतीकोरिन -तमिलनाडु, पोर्ट ब्लेयर- अंडमान एवं निकोबार , हल्दिया -बंगाल  ,पारादीप -उङीसा, पोर्ट ब्लेयर- अंडमान निकोबार आदि ।                     -

  • वर्तमान में केवल पांच अंतरर्देशीय जलमार्ग हैं और वर्तमान सरकार ने और 106 अंतरराष्ट्रीय जलमार्गों की पहचान की है और अब इन 111 जलमार्गों को राष्ट्रीय जलमार्गों के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसलिए जलमार्ग एक गेम चेंजर साबित होंगे:

क्योंकि इससे वस्तुओं एवं यात्रियों के परिवहन की लागत में कमी आएगी, सड़कों पर भीड़-भाड़ कम होगी तथा प्रदूषण घटाने में भी यह अहम भूमिका निभाएंगे। यह पर्यटन को भी बढावा देगा।          

=>Organisation to develop Inland waterways:                                    

देश में अंतर्देशीय जलमार्गों की क्षमता का अनुकूलतम विकास करने और बढ़ाने के सरकारी नीति के भाग के रूप में भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई-Inland Waterways Authority of India) की स्‍थापना भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग अधिनियम, 1985 के तहत की गई है।                                             

=>How to maximise utilisation of waterways:                      

  • इन अंतरर्देशीय जलमार्गों के उपयोग को बढ़ाने के लिए सीप्लेन्स,होवरक्राफ्ट्स एवं जल-थल-चर (एमफीबायस) बसों का प्रयोग किया जाएगा।।                                           

Benefit of Water ways:

  • अंतर्देशीय  जल परिवहन ईंधन कुशल,  किफायती लागत (सस्ता व फायदेमंद), प्रगतिशील अर्थव्यवस्था का सूचक तथा इको-फ्रेंडली /पर्यावरण मित्र होता है ।   
  • अंतर्देशीय जल परिवहन से रेल व सङक तंत्र पर से दबाव कम होगा । तथा विशेष रूप से भारी सामान , खतरनाक सामग्री तथा ओवर डाइमेंशनल कार्गों का परिवहन आसान होगा ।                       
  • अंतर्देशीय जलमार्गों से माल व लोगों का परिवहन तीव्र ,आसान ,किफायती तथा सुरक्षित होगा । सङक बनाने हेतु जमीन अधिग्रहण समस्या है जिससे व  सङक पर बढती दुर्घटनाओं से भी निजात मिलेगी ।                                                     
  •  रेल व रोङ के बजाय कम निवेश की जरूरत होगी  ।  --
  • वर्तमान मे जल परिवहन सबसे सस्ता परिवहन साधन है - लागत  50 पैसा/किमी /1 टन कार्गों पङती है, वही रेलवे व सङक से एक टन कार्गों परिवहन लागत क्रमशः 1 रू./किमी ,1.5 रू./ किमी पङती है ।           
  •  एक अध्ययन के अनुसार भारत के कुल परिवहन में जल परिवहन का हिस्सा महज 0.24 फीसदी है, जबकि रेल्वे का हिस्सा 36.6 फीसदी  व सङक परिवहन का 50.2 फीसदी  है । वही हॉलैंड जैसे देशों के कुल परिवहन में अंतर्देशीय जल परिवहन का हिस्सा 30 फीसदी तक है ।
  • साभार : विशनाराम माली 

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