आजीविका ग्रामीण एक्सप्रेस

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भारत सरकार ने दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के हिस्से के रूप में उप-योजना “आजीविका ग्रामीण एक्सप्रेस योजना (एजीईवाई)” लांच करने का निर्णय लिया है।

  • DAY- NRLM के अंतर्गत स्वयं सहायता समूह पिछड़े इलाकों में सड़क परिवहन सेवा संचालन करेंगे।
  • इससे समुदाय की निगरानी में सुरक्षित, किफायती ग्रामीण परिवहन सेवा मिलेगी और महत्वपूर्ण सेवाओं और सुविधाओं (बाजार, शिक्षा तथा स्वास्थ्य) से दूर-दराज के गांव जुड़ेंगे और पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों का समग्र रूप से आर्थिक विकास होगा।
  • इससे स्वयं सहायता समूहों के लिए आजीविका के अतिरिक्त साधन उपलब्ध होगा। एजीईवाई की प्रमुख बातों पर हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में जून, 2016 में राज्य परिवहन मंत्रियों की हुई बैठक में विचार किया गया और राज्यों के परिवहन मंत्रियों ने इस पहल की प्रंशसा की।

डीएवाई-एनआरएलएम के अंतर्गत समुदाय आधारित संगठन (सीबीओ) को दिये जाने वाले समुदाय निवेश कोष (सीआईएफ) का उपयोग स्वयं सहायता समूह के सदस्यों को समर्थन देने में किया जाएगा। समुदाय निवेश कोष से स्वयं सहायता समूह के लाभार्थी सदस्य को सीबीओ द्वारा वाहन खरीदने के लिए 6.50 लाख रुपये तक ब्याज मुक्त ऋण दिया जाएगा। वैकल्पिक तौर पर वाहन का स्वामित्व सीबीओ के पास होगा और सीबीओ स्वयं सहायता समूह के सदस्य को वाहन पट्टे पर चलाने और पट्टे का किराया सीबीओ को देने के लिए कहेगा।

Pilot Project

AGEY प्रारंभ में पायलट आधार पर देश के 250 ब्लाकों में लागू किया जाएगा। प्रत्येक ब्लाक को परिवहन सेवा चलाने के लिए 6 वाहन दिये जायेंगे।

  • चालू वर्ष के दौरान 8 राज्यों - आंध्रप्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र,तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में 52 ब्लाकों इस योजना का लागू करने की स्वीकृती दी गई है और इसके लिए 16.06 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
  • इसमें से 10.16 करोड़ रुपये भारत सरकार देगी और शेष राशि संबंधित राज्यों द्वारा दी जायेगी।

How blocks will be selected

  • राज्य ब्लाकों का चयन उन ब्लाकों में से करेंगे जहां राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन सक्रिय रूप से लागू किया जा रहा है और जहां परिपक्व समुदाय आधारित संगठन पहले से काम कर रहे हैं। ब्लाकों तथा मार्गों के चयन में पिछड़ापन, परिवहन संपर्क का अभाव और सतत सेवा की संभावना जैसी बातों को ध्यान में रखा जाएगा।
  • राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एसआरएलएम) द्वारा चुने गए ब्लाकों में संभावना अध्ययन और यातायात सर्वेक्षण किया जाएगा। मार्गों तथा सतत आधार पर चलाए जाने वाहनों की संख्या और क्षमता की पहचान की जाएगी। यह अध्ययन तकनीकी रूप से उन मजबूत संगठनों द्वारा किया जाएगा जो परिवहन नेटवर्क नियोजन में विशेषज्ञता रखते हैं। 6.50 लाख की लागत सीमा के अंदर वाहन या तो ई-रिक्शा होगा या थ्री विहलर या फोर व्हिलर होगा।
  • एसआरएलएम द्वारा वाहनों के लिए परमिट जारी करने के काम में राज्य परिवहन के साथ समन्वय स्थापित किया जाएगा। वाहन चलाने वाले स्वयं सहायता समूह के सदस्य यह सुनिश्चित करेंगे कि वैध परमिट, रोड़ टैक्स परमिट, वैध बीमा पालिसी जैसी सभी आवश्यक कानूनी और वैधानिक आवश्यकता पूरी की गई है

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