कैबिनेट समिति ने नई केंद्रीय क्षेत्र योजना - संपाडा (कृषि-समुद्री प्रसंस्करण और कृषि-प्रसंस्करण क्लस्टर के विकास के लिए योजना) के तहत खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की योजनाओं को पुन: व्यवस्थित करने के लिए अनुमोदित कर दिया है। यह अनुमोदन 14वें वित्त आयोग के चक्र के साथ 2016-20 अवधि के लिए दिया गया है।
- छह सौ करोड़ रुपये के आवंटन के साथ संपाडा को शुरू किया जा रहा है।
- इसमें 31,400 करोड़ रुपये का निवेश होगा जिससे 1,04,125 करोड़ रुपये का 334 लाख मिट्रिक टन कृषि उत्पादन होगा। इससे 20 लाख किसानों को लाभ होगा और 2019-20 के दौरान प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से देशभर में 5,30,500 रोजगार सृजित होंगे।
- संपाडा का उद्देश्य* :- कृषि को पूरक बनाना, प्रसंस्करण का आधुनिकीकरण करना और कृषि-अपशिष्ट को कम करना है।
- संपाडा एक ऐसी योजना है जिसके नीचे मंत्रालय की मेगा फूड पार्क्स, एकीकृत कोल्ड चेन और वैल्यू एडिशन इंफ्रास्ट्रक्चर, फूड सेफ्टी एंड क्वालिटी एश्योरेंस इन्फ्रास्ट्रक्चर इत्यादि जैसी योजनाओं को शामिल किया गया है। साथ ही इसमें नई योजनाएं जैसे कि एग्रो-प्रोसेसिंग क्लस्टर के लिए बुनियादी ढांचा, पिछड़े और अग्रेषण निर्माण संबंधी, खाद्य प्रसंस्करण और संरक्षण की क्षमता का निर्माण और विस्तार शामिल है।
- देश में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को एक नया आयाम देने के लिए संपडा जैसा एक व्यापक पैकेज तैयार किया गया है। इसमें एग्रो-प्रोसेसिंग क्लस्टर, पिछड़े और अग्रेषण निर्माण संबंधी, खाद्य प्रसंस्करण और संरक्षण क्षमता का विस्तार जिसका मकसद कारोबारियों को नया खाद्य प्रसंस्करण ईकाई स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करना है, आधुनिकीकरण, आपूर्ति श्रृंखला को आधुनिक बनाना आदि शामिल है।
संपाडा के क्रियान्वयन के परिणामस्वरूप आधुनिक बुनियादी ढांचे का विकास जिससे खेत का उत्पाद सीधे रिटेल आउटलेट पहुंच सकेगा। इसके लिए कुशल आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन तैयार किया जाएगा। यह न केवल देश में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देगा बल्कि उन्हें बेहतर कीमत प्रदान करने में भी मदद करेगा। साथ ही यह किसानों की आमदनी को दोगुना करने के लिए एक बड़ा कदम है। यह विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में भारी रोजगार के अवसर पैदा करेगा। यह कृषि उत्पाद के अपव्यय को कम करने, प्रसंस्करण स्तर को बढ़ाने, उपभोक्ताओं को सस्ती कीमत पर सुरक्षित और सुविधाजनक प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की उपलब्धता और संसाधित खाद्य पदार्थों के निर्यात को बढ़ाने में भी मदद करेगा।
पृष्टभूमि (Background)* :--
- , रोजगार और निवेश में योगदान के संदर्भ में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनकर उभरा है। 2015-16 के दौरान इस क्षेत्र में क्रमशः विनिर्माण और कृषि क्षेत्र में जीवीए के 9.1 और 8.6 प्रतिशत कारोबार हुआ।
- सरकार का घोषणापत्र किसानों के लिए बेहतर आय उपलब्ध कराने और नौकरियों का सृजन करने के लिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की स्थापना को प्रोत्साहित करने पर बल देता है।
- खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा कई उपाय किए गए हैं। इन उपायों से खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र का विकास 7% हो गया है। बागवानी और गैर-बागवानी के उत्पादन के बाद फसल के नुकसान को कम करने के लिए, खेत से बाजार तक के लिए खाद्य प्रसंस्करण के लिए आधुनिक बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए 42 मेगा फूड पार्कों और 236 एकीकृत कोल्ड चेन को मंजूरी दी गई है। 42 मेगा फूड पार्कों में से आठ का परिचालन चालू है। इसमें से पिछले 3 वर्षों के दौरान 6 मेगा फूड पार्क्स चालू किये गये हैं।
- इसके अलावा, अगले तीन महीनों में और चार मेगा फूड पार्कों का संचालन करने के लिए लक्ष्य रखा गया है। इसी तरह मार्च 2017 में हाल ही में 236 में से 101 कोल्ड चेन को मंजूरी दे दी गई। 100 कोल्ड चेन परिचालित हो रही है। इनमें से 63 कोल्ड चेन को पिछले तीन वर्षों के दौरान परिचालित किया गया है।
- खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई अन्य कदम उठाए हैं-
- खाद्य प्रसंस्करण और खुदरा क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए सरकार ने भारत में निर्मित और उत्पादित खाद्य उत्पादों के संबंध में ई-कॉमर्स के जरिये व्यापार में 100% एफडीआई की अनुमति है। इससे किसानों को बेहद लाभ होगा और इससे बुनियादी ढांचा सुधनरे के साथ ही रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
- सरकार ने नाबार्ड में 2000 करोड़ रुपये के विशेष निधि की स्थापना की है। इससे निर्दिष्ट खाद्य पार्कों में खाद्य पार्कों और एग्रो प्रोसेसिंग इकाइयों को रियायती दर पर ऋण उपलब्ध कराया जा सकेगा।
- खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देने, अपव्यय को कम करने, रोजगार के अवसर पैदा करने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए खाद्य संसाधन और कृषि आधारित प्रसंस्करण इकाइयों और कोल्ड चेन के बुनियादी ढांचे को प्राथमिक स्तर पर ऋण देने (पीएसएल) के दायरे के तहत लाया गया है।
साभार : विशनाराम माली