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भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) ने दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता, 2016 की धारा 58, 196 और धारा 240 सहित धारा 208 के तहत कॉरपोरेट जगत के दिवाला समाधान की तेज प्रक्रिया को अधिसूचित किया है। इन नियमों के तहत पात्र कॉरपोरेट कर्जदारों के दिवालियापन के समाधान की प्रक्रिया चालू होगी। इस प्रक्रिया के तहत आने वाले मामलों को 90 दिनों के भीतर निपटा लिया जाएगा।
Ø कर्जदार, चूक होने की स्थिति में उसके सबूत के साथ समाधान प्रक्रिया के लिए आवेदन कर सकता है। कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता, 2016 की प्रासंगिक धारा 55 से 58 को अधिसूचित किया है, ताकि समाधान तीव्र प्रक्रिया के तहत हो सकें। यह निम्नलिखित कॉरपोरेट कर्जदारों के संबंध में लागू होगा –
Ø कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2, उपधारा (85) में परिभाषित लघु कंपनी, या
Ø स्टार्टअप (साझेदारी फर्म के अतिरिक्त) जिसे वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की 23 मई, 2017 की अधिसूचना में परिभाषित किया गया है, या
Ø गैर सूचीबद्ध कंपनी जिसका उल्लेख वित्तीय बयान में दर्ज हो और जिसकी परिसम्पत्ति एक करोड़ रूपये से अधिक न हो।