बजट: प्रचार पर कम; वास्तयविकता पर अधिक जोर

वित्त मंत्री  ने अपने बजट 2017-18 में जरूरत मंदों को धन प्रदान किया है। लगभग 21.46 लाख करोड़ रुपये के विभिन्न बजट विवरण के बारे में सबसे उपयुक्त शीर्ष वैश्विक बैंकर ने कहा है कि यह एक कारीगरी और व्यवसाय जैसा कार्य है।

  • उच्च अपेक्षाओं के बावजूद बजट के अंतिम आंकड़ों और विकास खाके में प्रचार पर कम और किसानों, ग्रामीण श्रमिकों, निम्न मध्य वर्ग, युवा और लघु तथा मध्यम उद्यमों के लिए वास्तविक सहायता प्रदान करने पर अधिक जोर दिया गया है।
  • विकसित अर्थव्यवस्थाओं द्वारा संरक्षणवाद और उभरते हुए बाजारों* से पूंजी का निकलना जैसी वैश्विक चुनौतियों को देखते हुए वित्त मंत्री ने बजट प्रस्तुत करते हुए घरेलू कारकों पर बल दिया, जिसमें कई बातें पहली बार शामिल की गई हैं। पहली बार बजट एक महीने पहले पेश किया गया, जिससे सरकार के व्यय पर गुणात्मक प्रभाव पड़ेगा। इसके अलावा पहली बार नियोजित और गैर-नियोजित व्यय की सख्ती को हटाया गया है।
  • विमुद्रीकरण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के महत्व के बाद आए इस बजट में वित्त मंत्री ने देश के ग्रामीण क्षेत्र के लिए 1.87 लाख करोड़ रुपये का संयुक्त आवंटन किया है। प्रमुख ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम, महात्मा गांधी मनरेगा के लिए अब तक का सबसे अधिक 48,000 करोड़ रुपये आवंटित किया गया है और यह व्यय ‘केवल खड्डे खोदने और भरने’ के लिए नहीं बल्कि बेहतरीन ग्रामीण संपत्ति का निर्माण करने में किया जाएगा। सभी मनरेगा संपत्तियों को जीओ-टैग किया जाएगा और अधिक पारदर्शिता के लिए इसे सार्वजनिक किया जाएगा। यहां तक कि मनरेगा कार्यों की योजना बनाने के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का भी व्यापक उपयोग किया जाएगा।
  • किसानों को उनकी फसल का बेहतर मूल्य दिलाने के लिए उनको ई-मंडी से जोड़ने तथा कृषि उत्पाद बाजार समीति (एपीएमसी) अधिनियम के चंगुल से और अधिक किसान उत्पादों को विमुक्त करने के लिए अधिक से अधिक राज्यों से आग्रह करने जैसी पहलों से किसानों को काफी मदद मिलेगी।

एक महत्वपूर्ण प्रश्न है कि क्या यह बजट निजी क्षेत्र में खपत मांग और निवेश को पुनर्जीवित कर सकेगा?
 

  • जैसा कि घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की स्थिति के बारे में शानदार कुछ और ईमानदार आकलन के बेहतरीन दस्तावेज, आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया है कि देश का निजी क्षेत्र भारी ऋण की समस्या से जूझ रहा है। इसलिये भारतीय कंपनियों द्वारा इस क्षेत्र में नया धन लगाने से पहले निवेश चक्र में आवश्यक महत्वपूर्ण नेतृत्व के लिये यह सरकार का तार्किक उपाय होगा और इसके बाद दूसरे आदेश में इसका पालन किया जायेगा। यही कार्य इस बजट में किया गया है। विश्व में विपरित परिस्थितियों के बावजूद पूंजी निर्माण के लिये पूंजी व्यय में 24 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की गई है। प्रमुख सड़क, रेल और शिपिंग बुनियादी ढांचा क्षेत्र को संयुक्त रूप से 2.41 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय का सरकारी निवेश प्राप्त हुआ है। इसे कई गुना प्रभावी बनाने के लिये निजी क्षेत्र को सीमेंट, स्टील और रोलिंग स्टॉक आदि के ऑर्डर प्राप्त होंगे, जिससे कुशल और अर्धकुशल लोगों के लिये रोजगार के अवसर पैदा होंगे तथा प्रमोटरों के राजस्व में वृद्धि होगी।
  • *युवाओं के बारे में विचार एकदम स्पष्ट हैं*: जो एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करना है जहां आसान बैंक ऋण, राजकोषीय रियायतों और प्रोद्योगिकी समर्थता की मदद से उद्यमशीलता बढ़े।
  •  एक विश्लेषक ने कहा है कि कारपोरेट भारत को केवल पांच से दस शीर्ष व्यावसायिक घरानों के लिये ही शेयर बाजार में धन बनाने के रूप में नहीं देखना चाहिये,बल्कि यह करोड़ों सूक्ष्म, लघु और मझौले उद्यमों (एसएमई) के लिये भी है। बजट से इस वर्ग के लोगों की स्थिति में काफी बदलाव आयेगा। हालांकि सरकार द्वारा पूरे उद्योग के लिये कारपोरेट कर को 25 प्रतिशत करने के अलावा एसएमई क्षेत्र को प्राथमिकता दी गई है, जिन्हें कर और कम देना होगा। नाम में कुछ बदलाव कर बुनियादी ढ़ांचा का दर्जा देने के बाद किफायती आवास के इस क्षेत्र को काफी बढ़ावा दिया गया है। विमुद्रीकरण और कम मांग के कारण इस क्षेत्र को काफी धक्का पंहुचा था। इससे निर्माण क्षेत्र में रोजगार बढ़ेगा और सबके लिये आवास का सरकार का वादा पूरा होगा।
  • डिजीटल इंडिया एक ऐसा क्षेत्र है, जहां बजट में अपेक्षाओं के अनुरूप आवंटन किया गया है। इसमें जोर देकर कहा गया है कि डिजीटल पहल केवल विमुद्रीकरण तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि यह नया सामान्य तरीका होगा। संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र को आपस में जोड़ने के लिये भीम, फाइबर ऑप्टिक्स, बिक्री स्थलों और माल प्लेटफार्म जैसे परिचालन ऐप तैयार करने के लिये कई पहल की और बुनियादी सहायता दी गई है। देश को ऊर्जावान और स्वच्छ बनाने के लिये बजट में नगदी रहित अर्थव्यवस्था ‘टीइसी’ स्तम्भों में से एक है। वास्तव में इससे न केवल काले धन और भ्रष्टाचार को समाप्त कर देश को आंतरिक रूप से स्वच्छ करने में मदद मिलेगी, बल्कि इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और युवा ऊर्जावान बनेंगे।
  •  इसी विषय से जुड़े विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड को समाप्त करने से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की परियोजनओं को मंजूरी देने या न देने में लाल फीताशाही कम करने और विवेकाधिकारों को समाप्त करने के बारे में वैश्विक निवेशकों को बड़ा और स्पष्ट संकेत दिया गया है। इसके बाद राजनीतिक दलों को चंदा देने में पारदर्शिता लाने के लिए सबसे साहासिक कदम चुनावी बांड के जरिए चंदा देना और केवल दो हजार रुपये तक नकद चंदा देने की सीमा तय करना है। यह भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई जीतने में काफी मददगार साबित होगा।
  • 20,000 करोड़ रुपये तक प्रत्यक्ष कर मुक्त करने के साथ ही वित्तीय अनुशासन पर टिके रहकर वित्त मंत्री ने इसके लिए कोई नया कर नहीं शुरू किया है। राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 3.2 प्रतिशत के महत्वपूर्ण स्वीकार्य स्तर पर नियंत्रित किया गया है। यह एक ऐसा उपाय है, जिससे देश को वैश्विक रेटिंग एजेंसियों का विश्वास बनाए रखने में मदद मिलेगी
  •  संक्षेप में बजट 2017-18 बेहतरीन है और अगर अगले वित्त वर्ष में नहीं, तो आगामी वर्षों में इससे 8 प्रतिशत से अधिक जीडीपी वृद्धि दर हासिल करने में मदद मिलेगी।

साभार : विशनाराम माली  

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