अपराध एवं आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क एवं प्रणाली परियोजना के कार्यान्वयन के विस्तार को एक साल तक मंजूरी

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने अपराध एवं आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क एवं प्रणाली यानी क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम (सीसीटीएनएस) परियोजना के कार्यान्वयन को 31 मार्च 2017 के बाद एक और साल तक विस्तार देने के केंद्रीय गृहमंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

 

यह विस्तार परियोजना के शेष बचे उद्देश्यों को व्यापक रूप से प्राप्त करने में मदद करेगा। परियोजना के रखरखाव का चरण 2022 तक जारी रहेगा, जैसा कि पहले ही अनुमोदित किया गया था। इस परियोजना का कुल परिव्यय 2,000 करोड़ रुपये है। अभी तक इस परियोजना के लिए 1,550 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, इनमें से 2016-17 तक पूरी राशि का उपयोग कर लिया गया है।

 

इंटर ऑपरेटिव आपराधिक न्याय प्रणाली (आईसीजेएस) का उद्देश्य सीसीटीएनएस परियोजना को पहली बार ई-कोर्ट एवं ई-जेल डाटाबेस और आपराधिक न्याय प्रणाली के अन्य पिलर (खंभों) जैसे फोरेंसिक, अभियोजन, बालसुधार गृह तथा अपराधियों के देशव्यापी फिंगर प्रिंट डाटाबेस के साथ जोड़ना है। यह एकीकरण डेस्कटॉप डैशबोर्ड के जरिए न्यायपालिका, पुलिस और जेलों तक पहुंच उपलब्ध कराकर प्राप्त किया जा सकता है ताकि त्वरित तथा सूचना देने वाले फैसले लिए जा सकें और जांच में सहयोग किया जा सके।

 

सीसीटीएनएस परियोजना का प्रभाव इस प्रकार होगाः

 

   i.     सभी राज्यों एवं केंद्र में सिटीजन पोर्टल, स्व-सेवा (सेल्फ सर्विस) मोड में पुलिस की मदद उपलब्ध कराने, शिकायतों का ऑनलाइन पंजीकरण एवं लापता लोगों तथा चोरी हुई चीजों की खोज एवं रिपोर्टिंग में पारदर्शिता और तेजी लाएगा।

   ii.     संपूर्ण राष्ट्रीय अपराध एवं आपराधिक डाटाबेस पर देशव्यापी खोज की जा सकेगी। यह किसी भी जांचकर्ता अधिकारी के लिए पूरे देश में सुलभ होगी।

 

  iii.     अंतर-राज्यीय आपराधिक गतिविधियों पर बेहतर तरीके से नजर रखने के पुलिस को क्षेत्रीय भाषाओं में भी खोज की सुविधा उपलब्ध होगी।

  iv.     देश के सभी पुलिस स्टेशनों के लिए विश्वसनीय नेटवर्क कनेक्टिविटी।

   v.     राष्ट्रीय स्तर पर अपराध विश्लेषण प्रकाशित किए जाएंगे, जिनकी संख्या बढ़ने से नीति एवं कानून बनाने वालों को डाटा पर आधारित समयबद्ध कार्रवाई करने और उचित नीतिगत हस्तक्षेप करने में मदद होगी।

  vi.     आधार, जनसंख्या रजिस्टर, भूतल परिवहन मंत्रालय की वाहन परियोजना,  पासपोर्ट सेवा और राष्ट्रीय आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली परियोजना जैसी विभिन्न ई-गवर्नेंस परियोजनाओं के एकीकरण से इन व्यक्तिगत प्रणालियों से मिलने वाला लाभ में बढ़ोतरी होगी और तालमेल में सुधार आएगा। यह विभिन्न प्रकार के पुलिस सत्यापन अनुरोधों और जांच में तेजी लाएगा।

 vii.     बायोमेट्रिक आधारित पहचान, ट्रेंड एवं पैटर्न विश्लेषण आदि उन्नत सुविधाओं को उच्च तकनीक वाली जांच क्षमता को बढ़ाने में शामिल किया जाएगा।

viii.     आपराधिक न्याय प्रणाली के सभी पिलर के लिए उपलब्ध होने वाले आईसीजेएस को इसकी सर्विस डिलीवरी सुधारने में मदद मिलेगी।

Download this article as PDF by sharing it

Thanks for sharing, PDF file ready to download now

Sorry, in order to download PDF, you need to share it

Share Download