मंत्रिमंडल ने सोवरन गोल्ड बॉन्ड स्कीम के दिशा निर्देशों में संशोधन को स्वीकृति दी

 

केन्द्रीय मंत्रिमण्डल ने सोवरन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) स्कीम को और अधिक उद्देश्य पूर्ण बनाने के लिए इसके दिशा निर्देशों में संशोधन की अनुमति दे दी है।

स्कीम में दो प्रकार के परिवर्तन किए गए हैः

  • स्कीम को अधिक आकर्षक बनाने, लक्ष्य के अनुसार वित्तीय साधन जुटाने, सोने के आयात से उत्पन्न आर्थिक दबाओं को कम करने तथा चालू खाता घाटा कम करने के लिए इसकी विशेषताओं में बदलाव किया गया है।
  • विभिन्न ब्याज दरों और जोखिम प्रतिरक्षा/चुकता वाले विभिन्न एसजीबी डिजाइन करने एवं शुरू करने के लिए वित्त मंत्रालय को लचीलापन दिया गया है ,जो विभिन्न श्रेणी के निवेशकों को निवेश का विकल्प देगा। वित्त मंत्रालय (जारी करने वाला) को वित्त मंत्री की स्वीकृति से स्कीम की विशेषताओं में संशोधन/ जुड़ाव करने की शक्ति प्रदान की गई है ताकि एक विशेष भाग की विशेषताओं को अंतिम रूप देने और इसकी अधिसूचना के बीच समय-अंतराल को कम किया जा सके। ऐसा लचीलापन नए निवेश उत्पादों के साथ स्पर्धा से कारगर रूप से निपटने में सहायक होगा और इससे गतिशील और उतार चढाव वाले बाजार, वृहत आर्थिक स्थिति और स्वर्ण मूल्य जैसी अन्य स्थितियों से निपटा जा सकेगा।

स्कीम में निम्नलिखित विशेष परिवर्तनों को मंजूरी दी गई है।

  • निवेश की सीमा व्यक्तियों के लिए प्रतिवर्ष चार किलोग्राम, हिन्दू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) तथा न्यासों तथा समय-समय पर सरकार द्वारा सूचित अस्तित्वों के लिए 20 किलोग्राम बढा दी गई है।
  • सीमा की गणना वित्तीय वर्ष के आधार पर की जाएगी और इसमें अनुषंगी बाजार में कारोबार के दौरान खरीदे गए सोवरन स्वर्ण बॉन्ड शामिल होंगे।
  • निवेश सीमा में बैंकों तथा वित्तीय संस्थानों के जमानती हिस्से शामिल नही होंगे।
  • सोवरन स्वर्ण बॉन्ड मांग के आधार पर उपलब्ध होंगे। एनएसई, बीएसी, बैंकों तथा डाक विभाग की सलाह के आधार पर वित्त मंत्रालय द्वारा मांग के आधार पर उत्पाद की विशेषताएं तय की जाएंगी।
  • सोवरन स्वर्ण बॉन्ड की तरलता और कारोबारी सक्षमता में सुधार के लिए उचित बाजारमुखी पहल किए जाएगें। वाणिज्यिक बैंक तथा एमएमटीसी जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की कोई कम्पनी या सरकार द्वारा निर्धारित कोई कम्पनी बाजार निर्माता होगी।
  • सरकार आवश्यकता पड़ने पर एजेन्टों को ऊंचे कमीशनों की इजाजत दे सकती है।

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