अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के न्यूनतम आयु कनवेंशन, 1973 (नंबर 138) और बालश्रम का सबसे खराब स्वरूप कनवेंशन, 1999 (नंबर 182) के अनुमोदन को मंजूरी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के दो मौलिक कनवेंशनों रोजगार पाने की न्यूनतम उम्र से संबंधित न्यूनतम आयु कनवेंशन (नंबर 138) और मजदूरी के सबसे खराब स्वरूपों के उन्मूलन के लिए निषेधाज्ञा एवं तत्काल कार्रवाई से संबंधित बाल श्रम का सबसे खराब स्वरूप कनवेंशन (नंबर 182) के अनुमोदन को अपनी मंजूरी दे दी है। भारत अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) का संस्थापक सदस्य है। यह 1919 में अस्तित्व में आया। इस समय आईएलओ के 187 सदस्य हैं। आईएलओ की प्रमुख गतिविधियों में कनवेंशनों, अनुशंसाओं और प्रोटोकाल के रूप में अंतरराष्ट्रीय मानकों की स्थापना करना है। भारत ने अभी तक 45 कनवेंशनों का अनुमोदन किया है, जिनमें से 42 प्रभावी हो गए हैं। इनमें से चार मौलिक या मूल कनवेंशन हैं। 

पृष्ठभूमि

बाल श्रम से संबंधित चिंताओं को दूर करने के लिए सरकार ने कड़े विधायी और परियोजना आधारित दृष्टिकोण समेत बहु आयामी रणनीति अपनाई है। हालांकि बाल एवं किशोरावस्था श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 के प्रावधानों के समुचित कार्यान्वयन को सुनिश्चित करते हुए हमारे देश के बच्चों के सुरक्षित और सफल भविष्य के लिए इसकी पहल को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। यह अधिनियम किसी भी व्यवसाय या प्रक्रिया में 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों के रोजगार या काम करने पर रोक लगाता है। बाल श्रम के उन्मूलन के लिए हालिया पहलों की गति को बरकरार रखा जाना चाहिए। 2030 तक स्थायी विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए बालश्रम को खत्म किया जाना अहम है। कनवेंशन संख्या 138 और 182 का अनुमोदन देश से बाल श्रम के उन्मूलन के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में एक अगला कदम है, क्योंकि यह कनवेंशन के प्रावधानों का पालन करने के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी होगा। वर्तमान में, कनवेंशन संख्या 138 को 169 देशों द्वारा स्वीकृति दी गई है और कनवेंशन 182 को 180 देशों द्वारा स्वीकृत किया गया है। इसलिए, इन दो प्रमुख कनवेंशन को मानने से, भारत उन देशों में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने बच्चों के रोजगार और बच्चों के काम करने को निषेध करने और उस पर गंभीर प्रतिबंध लगाने के लिए कानून अपना लिया है।

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