The Union Cabinet has approved a proposal for setting up of a Commission under article 340 of the Constitution to examine the issue of sub-categorization of the Other Backward Classes (OBCs)
केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में अन्य पिछड़ी वर्गों के उप-श्रेणीकरण के मुद्दे पर संविधान के अनुच्छेद 340 के अन्तर्गत एक आयेाग के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है।
यह आयोग अध्यक्ष की नियुक्ति की तिथि से 12 सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर देगा। आयोग को अन्य पिछड़ा वर्गों के उप-श्रेणी की जांच आयोग के रूप में जाना जाएगा।
प्रस्तावित आयेाग के कार्य निम्न होंगे:-
- केन्द्रीय सूची में शामिल OBC के संदर्भ में, ओबीसी की विस्तृत श्रेणी में शामिल जातियों/समुदायों के बीच आरक्षण के लाभ के असमान वितरण की प्रमात्रा की जांच करना।
- ऐसे, पिछड़े वर्गों के भीतर उप-श्रेणीकरण हेतु, क्रिया विधि, मानदंड मानकों एवं पैरा-मीटरों का वैज्ञानिक तरीके से आंकलन करना तथा
- अन्य पिछड़े वर्गों की केन्द्रीय सूची में संबंधित जातियों/समुदायों/उप-जातियों/पर्यायों की पहचान करने और उन्हें उनकी संबंधित उप-श्रेणी में श्रेणीकृत करने की कवायद आरंभ करना।
माननीय उच्चतम न्यायालय ने (इंद्रा साहनी और अन्य बनाम भारत संघ) के मामले में अपने दिनांक 16.11.1992 के निर्णय में यह कहा कि पिछड़ी एवं अति पिछड़ों एवं अति पिछड़ों के रूप में विभाजित करने पर कोई संवैधानिक या विधि की कोई रोक नहीं है एवं अगर सरकार चाहे तो इस पर कोई विधिक अड़चन नहीं है।
Subcategorization in States
नौ राज्यों यथा आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पुदुचेरी, हरियाणा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र एवं तमिलनाडु में पिछड़ी जातियों के उप वर्गीकरण की व्यवस्था वर्तमान में है।