गंगा नदी को निर्मल और अविरल बनाने की महत्वाकांक्षी योजना ‘‘ नमामि गंगे'' को सफल बनाने के लिए कार्पोरेट जगत ने सहयोग देने की इच्छा जाहिर की है। विभिन्न कंपनियों ने कार्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) के तहत इसमें सहयोग देने की बात कही है।
who is Participation in workshop ? :- ओएनजीसी, कोल इंडिया लिमिटेड, बीएचईएल, गेल इंडिया लिमिटेड, सेल, एनटीपीसी लिमिटेड, ऑयल इंडिया लिमिटेड, पेट्रोनेट एलएनजी लिमिटेड सहित महारत्न, नवरत्न एवं अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के विभिन्न उपक्रमों ने कार्यशाला में सक्रिय भागीदारी की। इसके अतिरिक्त सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के विभिन्न बैंकों जैसेः भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, येस बैंक, ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, यूको बैंक समेत करीब 20 बैंकों ने भी नमामि गंगे कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा आयोजित इस कार्यशाला में भागीदारी की और इस कार्यक्रम को सफल बनाने के उद्देश्य से विचारों का आदान-प्रदान किया। आदित्य बिड़ला समूह की जेएसडब्ल्यू एवं टाटा संस जैसी कॉर्पोरेट जगत की कंपनियों ने भी इस कार्यशाला में सक्रिय भागीदारी की और अपने विचार साझा किए।
कार्यशाला में उपस्थित विभिन्न कंपनियों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों एवं बैंकों के प्रतिनिधियों ने विभिन्न सत्रों में अपने महत्वपूर्ण सुझाव साझा किए। विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े प्रतिनिधियों ने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के अंतर्गत गंगा बेसिन सभी पांच राज्यों में जारी नमामि गंगे गतिविधियों में योगदान करने के प्रति अपनी इच्छा ज़ाहिर की।
- कोल इंडिया लिमिटेड के एक प्रतिनिधि ने कहा कि, कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व गतिविधियों के अंतर्गत उसने पूजा में इस्तेमाल किए जाने वाले फूलों से खाद बनाने की दिशा में एक प्रणाली विकसित की है।
- गेल और भेल के द्वारा कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के अंतर्गत की जा रही विभिन्न कार्यक्रमों को भी इस कार्यशाला के दौरान साझा किया गया और यह विश्वास जताया गया कि उनके द्वारा किए जा रहे ये प्रयास नमामि गंगे कार्यक्रम को सफल बनाने की दिशा में भी उपयोगी साबित होंगे।
क्या है नमामि गंगे
- गंगा नदी के प्रदूषण को समाप्त करने और नदी को पुनर्जीवित करने के लिए
- नमामि गंगे के तहत नदी के प्रदूषण को कम करने पर पूरा जोर होगा। इसमें प्रदूषण को रोकने और नालियों से बहने वाले कचरे के शोधन और उसे नदी से दूसरी ओर मोड़ने जैसे कदम उठाए जाएंगे। कचरा और सीवेज परिशोधन के लिए नई तकनीक की व्यवस्था की जाएगी।
साभार : विशनाराम माली