Ø 17 जून को जमीनों के रेतीलेपन का मुकाबला करने के दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र संघ ने 17 जून, 1994 को अपनाया था और दिसम्बर, 1996 में इसका अनुमोदन किया गया था। 14 अक्टूबर,1994 को भारत ने यूएनसीसीडी पर हस्ताक्षर किये थे। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय इसका नोडल मंत्रालय है।
Ø स्टॉकहोम सम्मेलन 1972 से प्रेरणा लेकर पूरे विश्व में 1992 में रियो में जैवविविधता, जलवायु परिवर्तन और मरुस्थलीकरण के विषय पर एकजुटता प्रकट की थी। पृथ्वी शिखर वार्ता के दौरान जलवायु परिवर्तन, जैवविविधता और मरुस्थलीकरण का मुकाबला (यूएनसीसीडी) जैसे तीन महत्वपूर्ण प्रस्तावों को स्वीकार किया था। वर्ष 1995 से मरुस्थलीकरण का मुकाबला करने के लिए विश्व दिवस मनाया जाता है, ताकि लोगों को इस संबंध में जागरूक किया जा सकें और सूखे की स्थिति तथा जमीनों के रेतीलेपन के विरूद्ध संघर्ष किया जा सके। यूएनसीसीडी का प्रमुख उद्देश्य मरुस्थलीकरण से लड़ना और सूखे के प्रभावों को कम करना है।
Ø पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय इस कन्वेशन के लिए नोडल मंत्रालय है।
Indian Effort to prevent desertification:
Ø राष्ट्रीय स्थिति और विकास संबंधी प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए सभी प्रासंगिक हितधारकों के साथ क्षेत्रीय परामर्श और कार्यशालाओं की एक श्रृंखला के बाद भारत की नई राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपी) को अंतिम रूप दिया जाएगा।
Ø भारत स्थानीय भूमि को स्वस्थ और उत्पादक बनाने के लिए सामुदायिक स्तर पर आजीविका पैदा करने के लिए टिकाऊ भूमि और संसाधन प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित कर रहा है ताकि इसके निवासियों के लिए बेहतर भविष्य तैयार हो सके।
Ø उत्पादकता को बढ़ाने में किसानों की मदद के लिए सरकार द्वारा मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना शुरू की गई है।
Ø इस साल सरकार ने विश्व मरु प्रसार रोक दिवस के ऐतिहासिक उत्सव के लिए हरियाणा के गुरूग्राम स्थित स्वर्ण जयंती प्रकृति शिविर, भोंडसी को चुना है
- राष्ट्रीय कृषि विकास योजना’ (कृषि मंत्रालय) जैसी सरकारी योजनाओं को भारी मात्रा में धन आवंटित किया है। 2016-17 में इस योजना के लिए 4750 करोड रुपये आवंटित किए गए, जबकि 2015-16 के दौरान इसे 3707 करोड रुपये जारी किए गए थे।
- सरकार ने ‘प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना’ (जल संसाधन मंत्रालय) को मजबूत करने के लिए 2014-17 के बजट आवंटन में 4510.55 करोड रुपये के साथ 22 फीसदी की वृद्धि की जो इससे पहले के तीन वर्षों के दौरान 3699.45 करोड रुपये थी।
- इन योजनाओं के अलावा दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना और आईडब्ल्यूएमपी (ग्रामीण विकास मंत्रालय), स्वच्छ भारत मिशन, राष्ट्रीय हरित भारत मिशन और राष्ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम (पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय) ऐसी प्रमुख योजनाएं है, जो जमीनों के रेतीले होने, जमीनों की गुणवत्ता कम होने और सूखे की समस्याओं से निपटने के लिए काम करती है।
- इन कार्यक्रमों को क्रियान्वित करने के अलावा पूरे देश में जागरूकता, गतिविधियां और लोगों तक पहुंच बनाने के कार्यक्रम भी चलाये जा रहे हैं।
- जमीन के रेतीलेपन और उसकी गुणवत्ता में कमी के विरूद्ध विशेष प्रयास किये जा रहे है। इसरो, अहमदाबाद और संबंधित 19 संस्थानों ने पूरे देश में दूरसंवेदी उपग्रहों के जरिये जमीन के रतीले होने की निगरानी की है।