- उद्देश्य : कौशल विकास और अन्य उपायों के माध्यम से आजीविका के अवसरों में वृद्धि कर शहरी और ग्रामीण गरीबी को कम करना है। मेक इन इंडिया, कार्यक्रम के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए सामाजिक तथा आर्थिक बेहतरी के लिए कौशल विकास आवश्यक है। दीनदयाल अंत्योदय योजना को आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय (एच.यू.पी.ए.) के तहत शुरू किया गया था। भारत सरकार ने इस योजना के लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। यह योजना राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एन.यू.एल.एम.) और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एन.आर.एल.एम.) का एकीकरण है।
- इस योजना का लक्ष्य शहरी गरीब परिवारों कि गरीबी और जोखिम को कम करने के लिए उन्हें लाभकारी स्वरोजगार और कुशल मजदूरी रोजगार के अवसर का उपयोग करने में सक्षम करना, जिसके परिणामस्वरूप मजबूत जमीनी स्तर के निर्माण से उनकी आजीविका में स्थायी आधार पर सराहनीय सुधार हो सके। इस योजना का लक्ष्य चरणबद्ध तरीके से शहरी बेघरों हेतु आवश्यक सेवाओं से लैस आश्रय प्रदान करना भी होगा। योजना शहरी सड़क विक्रेताओं की आजीविका संबंधी समस्याओं को देखते हुए उनकी उभरते बाजार के अवसरों तक पहुँच को सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त जगह, संस्थागत ऋण, और सामाजिक सुरक्षा और कौशल के साथ इसे सुविधाजनक बनाने से भी संबंधित है।
- दीन दयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) 3.6 करोड़ से भी अधिक परिवारों के जीवन और आजीविका में अहम बदलाव ला रहा है। यही नहीं, इन परिवारों की महिलाएं स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) में शामिल हो गई हैं। एसएचजी, ग्राम संगठनों (वीओ) और क्लस्टर लेवल फेडरेशन (सीएलएफ) के अंतर्गत महिलाओं की सामूहिक संस्थाओं ने परिवर्तनकारी सामाजिक प्रधानता विकसित की है, जिससे महिला-पुरुष संबंधों में बदलाव आ रहा है, सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित हो रही है और ग्राम सभाओं एवं पंचायती राज संस्थानों में उनकी भागीदारी संभव हो पा रही है। इस कार्यक्रम से महिलाओं का विश्वास बढ़ा है जिसके फलस्वरूप वे आजीविका में विविधीकरण के लिए एक निरंतर समुदाय संसाधन व्यक्ति (सीआरपी) के नेतृत्व में मार्गदर्शन के जरिए कौशल एवं सक्षमताओं का विकास करने के बाद आर्थिक गतिविधि के लिए बैंक से ऋण पाने का प्रयास करने लगी हैं।