- यह एक्सप्रेसवे कोंडली से शुरू होकर गाजियाबाद होते हुए पलवल तक बनाया जा रहा है।
- एक्सप्रेसवे का लगभग 60 फीसदी निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस वर्ष अगस्त तक एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा।
- पेरिफेरल एक्सप्रेसवे परियोजना में दो एक्सप्रेसवे हैं- पश्चिमी पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (डब्ल्यूपीई) और पूर्वी पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (ईपीई), जो दिल्ली के पश्चिमी एवं पूर्वी छोर से राष्ट्रीय राजमार्ग-1 और राष्ट्रीय राजमार्ग -2 को जोड़ते हैं। पश्चिमी पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (डब्ल्यूपीई) और पूर्वी पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (ईपीई) की संयुक्त परियोजना दिल्ली के चारों ओर एक रिंग रोड का स्वरूप धारण कर रही है, जिसकी कुल लम्बाई 270 किलोमीटर है। लगभग 183 किलोमीटर लम्बा एक्सप्रेसवे हरियाणा राज्य से होकर गुजर रहा है, जबकि शेष 87 किलोमीटर लम्बा एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश से होकर गुजर रहा है।
- दोनों एक्सप्रेसवे आपस में मिलकर उन वाहनों को एक बाईपास सुलभ कराएंगे, जो दिल्ली जाने की बजाय उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा,
पंजाब और जम्मू-कश्मीर जैसे पड़ोसी राज्यों की ओर अग्रसर होंगे। इससे न केवल दिल्ली में भीडभाड़ कम हो जाएगी, बल्कि प्रदूषण भी लगभग 50 प्रतिशत घट जाएगा। - एक्सप्रेसवे नवीनतम एवं विश्वस्तरीय स्मार्ट प्रौद्योगिकी तथा सड़क सुरक्षा उपायों जैसे कि इंटेलीजेंट राजमार्ग यातायात प्रबंधन प्रणाली, वीडियो घटना पहचान प्रणाली एवं एक क्लोज्ड टोलिंग सिस्टम से युक्त होंगे, जिसके तहत उतना ही टोल वसूला जाएगा,
जितनी दूरी तय की जाएगी। - पूर्वी पेरिफेरल एक्सप्रेसवे देश का पहला हरित एक्सप्रेसवे होगा,
जिसमें भूदृश्य निर्माण की बेहतरीन सुविधा होगी, लगभग 2.5 लाख पेड़ लगाए जांएगे और यह सौर ऊर्जा से पूरी तरह रोशन होगा। इस एक्सप्रेसवे पर थोड़ी-थोड़ी दूरी पर वर्षा जल के संचयन की सुविधाएं भी होंगी। इस एक्सप्रेसवे के किनारों पर पेट्रोल पम्प, मोटल, रेस्तरां इत्यादि की भी सुविधाएं होंगी। - एक्सप्रेसवे बेहतर सड़क संपर्क मुहैया कराते हुए किसानों, व्यापारियों और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र तथा पड़ोसी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड राज्यों की जनता को लाभ पहुंचायेगा। इन परियोजनाओं से क्षेत्र के परिवहन संबंधी बुनियादी ढांचे को व्यापक बढ़ावा मिलेगा और यह त्वरित, ज्यादा कुशल और कम प्रदूषण फैलाने वाला बनेगा, जिससे अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन
मिलेगा।
इन परियोजनाओं से प्रत्यक्ष और परोक्ष दोनों प्रकार के रोजगारों का सृजन होगा। ईपीई के निर्माण कार्य से 40 लाख मानव कार्य दिवसों के रोजगार का सृजन हुआ। 2100 इंजीनियरों और 5200 श्रमिकों को दैनिक रोजगार प्राप्त होगा। इसके अलावा हरित पट्टी बरकरार रखने के लिए
स्थानीय आबादी को शामिल किया जाएगा। सड़क के किनारे की सुविधाएं स्थानीय उपज के
लिए बाजार मुहैया कराएंगी।