- पिछले कुछ वर्षों तक श्रमिकों को अपनी सेवा की समाप्ति तक भविष्य निधि बचत प्राप्त करने के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) के कार्यालयों का अनगिनत चक्कर काटना पड़ता था। पेंशन भुगतान के लिए ईपीएफ पेंशन भोगियों को महीनों इंतजार करना पड़ता था।
- प्रबंधक आवश्यक रजिस्टरों के अनुपालन को बोझ समझते थे।
- कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआई) डिस्पेंसरियों में विशेषज्ञ से परामर्श पाना मुश्किल था। रोजगार कार्यालयों में कागजी कार्य की अधिकता से रोजगार के इच्छुक लोग अपना पंजीकरण कराने से बचते थे।
- श्रमिकों को असहयोगी कर्मियों का सामना करना पड़ता था। ईलाज कराने, बच्चों की शादी तथा मकान बनाने के लिए ईपीएफ खातों से वैध रूप से निकासी से संबंधित नियम अस्पष्ट थे। रिकॉर्डों में पारदर्शिता नहीं रखी जाती थी और इस बात की गुंजाइश थी कि विवेकाधिकार से तथा इकतरफा कार्रवाई की जा सकती थी।
पिछले तीन वर्षों में श्रम मंत्रालय ने श्रमिकों की पुरानी शिकायतों को कम करने के लिए अनेक सुधार कार्यक्रम शुरू किया।
- ईपीएफ सदस्यों को अब परिवार के किसी सदस्य या आश्रित की बीमारी की स्थिति में अग्रिम राशि लेने के लिए केवल एक स्व-घोषणा करनी पड़ती है। अब सदस्य के लिए चिकित्सा प्रमाण-पत्र या कोई अन्य प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है।
- पेंशन भुगतान में तेजी लाने के लिए ईपीएफओ ने खातों को आधार से जोड़ना अनिवार्य कर दिया है। सभी फील्ड अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे पहली जुलाई, 2017 से कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) में शामिल होने वाले सभी नए सदस्यों के मामले में नियोक्ता द्वारा आधार संख्या बताना सुनिश्चित करें। वर्तमान पेंशनभोगी पहले ही आधार से जोड़ने की प्रक्रिया पूरी कर चुके हैं और अपनी डिजिटल पहचान प्राप्त कर चुके हैं। इससे भुगतान में स्पष्टता आएगी और पेंशन भुगतान करने वाले बैंक के पास ईपीएस लाभार्थियों का सभी आवश्यक डाटा होगा और इससे विलंब और बहानेबाजी की गुंजाइश नहीं रहेगी।
- श्रमिकों के अपने घर का सपना साकार करने में मदद देने के लिए एक बड़ा कदम उठाया गया है। कर्मचारी पहले भी मकान बनाने के लिए ईपीएफ कोष से बचत राशि निकालते थे। लेकिन अब कर्मचारी अपने ईपीएफ खाते से सीधे ईएमआई की राशि बैंक में अंतरण कर सकते हैं।
- आवासीय निकासी के लिए पात्रता की शर्तों में रियायत दी गई है और ईपीएफ की सदस्यता अवधि घटाकर 5 वर्ष से 3 वर्ष कर दी गई है।
- न्यूनतम मजदूरी में संशोधन करने से दिहाड़ी मजदूरों को बड़ी राहत मिली है। सी क्षेत्र श्रेणी में गैर-कृषि श्रमिक के लिए न्यूनतम मजदूरी (प्रतिदिन) 246 रुपये से बढ़ाकर 350 रुपये, बी श्रेणी में 437 रुपये और ए श्रेणी के क्षेत्र में 523 रुपये कर दी गई है।
- मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017 से दो बच्चों के लिए महिला को मातृत्व लाभ 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दिया गया है और दो से अधिक बच्चों के लिए मातृत्व लाभ 12 सप्ताह किया गया है। इससे रोजगार के लिए महिलाओं को प्रोत्साहित किया जा सकेगा।
- अब बीमित व्यक्ति 2 डिस्पेंसरियों को चुन सकते हैं। एक अपने लिए और दूसरी परिवार के लिए। इससे सभी आईपी को विशेषकर अपने गृह राज्य से बाहर काम करने वाले प्रवासी मजदूरों को लाभ होगा, जिनका परिवार पैतृक राज्यों में रह रहे हैं। दूसरी डिस्पेंसरी के विकल्प की अनुपलबधता के कारण कर्मचारी, सदस्यों के आश्रितों को अक्सर चिकित्सा लाभों से वंचित होना पड़ता था।
नेशनल कैरियर सर्विस
- रोजगार सृजन के क्षेत्र में श्रम मंत्रालय नेशनल कैरियर सर्विस (एनसीएस) परियोजना लागू कर रही है। यह देश में सार्वजनिक रोजगार सेवाओं को मजबूत बनाने का मंच है।
- नेशनल कैरियर सर्विस पोर्टल पर 3.87 करोड़ उम्मीदवार तथा 14.8 लाख प्रतिष्ठान पंजीकृत हैं। पोर्टल ने 6 लाख से अधिक रिक्तियों को सक्रिय किया है1 2016-17 में लगभग 540 रोजगार मेलों का आयोजन किया गया है।
- एनसीएस परियोजना में 100 मॉडल कैरियर केंद्र स्थापित करने का लक्ष्य है ताकि गुणवत्ता संपन्न रोजगार सेवा दी जा सके। यह केंद्र राज्यों तथा संस्थानों के सहयोग से स्थापित किए जा रहे हैं। एनसीएस ने डाक विभाग तथा सामान्य सेवा केंद्रों के साथ सहयोग किया है ताकि डाक घरों के माध्यम से रोजगार के इच्छुक व्यक्तियों का पंजीकरण हो सके।
नई प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना
- और अधिक कर्मचारी रखने के लिए उद्योग को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से 2016-17 में श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा नई प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना (पीएमआरपीवाई) शुरू की गई है और इसके लिए 1,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।
- नियोक्ता अपने कर्मचारियों के ईपीएफ खातों में वेतन का 12 प्रतिशत देंगे और सरकार 8.33 प्रतिशत देगी जो कर्मचारियों और नए कर्मचारियों के ईपीएस (पेंशन) खातों में जाती है।
- कपड़ा क्षेत्र में सरकार कर्मचारी के वेतन का शेष 3.67 प्रतिशत का भुगतान करेगी जो नियोक्ता के ईपीएफ खातों में जाती है। यह योजना नए रोजगार में जाने वाले कर्मचारियों के लिए बड़ी मदद है। इसके अतिरिक्त रोजगार क्षमता वाले कपड़ा क्षेत्र के लिए सरकार ने 6,000 करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की है।
युवा की रोजगार पात्रता में सुधार के लिए 20 मंत्रालय 70 क्षेत्रों में कौशल विकास योजनाएं चला रहे हैं। कौशल विकास तथा उद्यमिता मंत्रालय के संकलित डाटा के अनुसार 2015-16 में विभिन्न क्षेत्रों में 1.04 करोड़ व्यक्तियों को कौशल प्रदान किया गया