रोजगार (Job) सृजन: स्वतंत्र भारत में सरकार की प्राथमिकता

India is at the critical juncture of its history. On the one hand huge opportunity in terms of demographic dividend but on the other hand challenge is of Job creation.

राष्ट्रपति महात्मा गांधी कहा करते थे कि भारत 6 लाख गांवों में बसता है। स्वतंत्र भारत की कोई भी सरकार इस तथ्य की अनदेखी नहीं कर सकती। इसलिए सभी सरकारों की आर्थिक नीति का मुख्य बल रोजगार (job) सृजन पर होता रहा है।

  • स्वतंत्रता के समय से ही सरकार अपनी आर्थिक नीति गांधीवादी विचारधारा पर बनाती रही। गांधीवादी विचारधारा के अनुसार कुटीर उद्योग रोजगार, विशेषकर ग्रामीण भारत में रोजगार, प्रदान करना महत्वपूर्ण है।
  • अच्छे किस्म की भारतीय दस्तकारी और हैंडलूम की पहचान प्रसिद्ध ढाका मलमल से की जाती है। परंपरागत भारतीय बुनकरों को उनके बारीक और साफ-सफाई से किए गए कार्यों के लिए जाना जाता रहा है, इसीलिए कहा जाता रहा कि ढाका मलमल का बना 6 गज का कपड़ा अंगूठी के आर-पार हो जाता था।
  • अंग्रेजों के आने के पहले भारतीय बुनकरों की दस्तकारी का बोलबाला था। अंग्रेजों के आने के साथ उन्होंने भारतीय कुटीर उद्योग को तहस-नहस कर दिया ताकि भारत के कच्चे कपास से मैनचेस्टर में मशीन से बनाए गए कपडों को प्रोत्साहन मिले। यह अंग्रेजों की शोषण की नीति थी क्योंकि अंग्रेज कच्चा माल उत्पादन के लिए सस्ती दर पर मजदूरों से काम कराते थे और कच्चे माल को तैयार औद्योगिक रूप में इस्तेमाल करते थे और ऊंची कीमत पर भारती की विशाल आबादी में बेचा जाता था। ऐसा अंग्रेजों ने औद्योगिक क्रांति को निरंतरता देने के लिए किया। इससे भारतीय उद्योग और दस्तकारी नष्ट हो गए। इसका परिणाम यह हुआ कि भारतीय जनता की बहुसंख्यक आबादी कृषि पर निर्भर रहने लगी।

Independent India and micro enterprise

इसलिए स्वतंत्र भारत में लघु उद्योगों को प्रोत्साहित करने पर बल दिया जाने लगा, विशेषकर कुटीर और सूक्ष्म उद्योगों पर ताकि ग्रामीण भारत में पूरे साल लोगों की आजीविका चलती रहे। आज देश में पांच करोड़ से अधिक मझौले, लघु सूक्ष्म उद्योग हैं। ये उद्योग भारत के मैन्यूफैक्चरिंग में 40 प्रतिशत और तिजारती निर्यात में 45 प्रतिशत का योगदान देते हैं।

Is that mean no requirement of Medium and big enterprise:

  • इसका अर्थ यह नहीं कि भारत को बड़े और भारी उद्योगों की आवश्यकता नहीं है। ऐसे उद्योगों की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए बिजली क्षेत्र, मशीन उपकरण बनाने, वाहन बनाने, इस्पात बनाने, रक्षा उत्पादन, ऑटोमोबाइल आदि क्षेत्रों में।

Where should focus

  • लेकिन छोटे उद्योग रोजगार सृजन के लिए आवश्यक हैं, क्योंकि ऑटोमेशन और उच्च प्रौद्योगिकी का उपयोग करने वाले पूंजीगत भारी उद्योग रोजगार प्रेरक नहीं हो सकते। निर्माण,अवसंरचना विकास जैसे सड़क और रेल, लॉजिस्टिक कारोबार, वस्त्र, हथकरघा क्षेत्र में रोजगार सृजन हो सकता है। लघु और कुटीर उद्योगों में भी रोजगार सृजन की संभावना है।
  •  छोटे तथा कुटीर उद्योगों में एक व्यक्ति के रोजगार के लिए 1-1.5 लाख रुपये निवेश की आवश्यकता है,जबकि पूंजी वाले भारी उद्योगों में एक रोजगार के लिए 5-6 लाख रुपये का निवेश करना पड़ता है। एक कार बनाने पर मशीन, ड्राइवर, क्लिनर जैसे सेवा क्षेत्र में तीन लोगों को रोजगार मिलता है। इसी तरह एक ट्रक या ट्रैक्टर उत्पादन से 7 लोगों को रोजगार मिलता है। सेवा क्षेत्र विशेषकर ग्रामीण भारत में महत्वपूर्ण है, क्योंकि वहां कृषि को छोड़कर रोजगार का अभाव है। ऐसा करने से शहरी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर पलायन में कमी आएगी।

Focus on MSME

  • स्वतंत्रता के बाद से सूक्ष्म और लघु उद्योगों पर जोर दिया गया है और इससे पूरे देश में औद्योगिक क्लस्टर बने हैं। इन उद्योगों के वित्त पोषण की व्यवस्था की गई है।
  • इसमें सूक्ष्म वित्तीय संस्थानों को शामिल किया गया है ताकि उद्यमी को साहूकार के शोषण से बचाया जा सके।

इसी विषय को आगे बढ़ाते हुए सरकार ने पिछले तीन वर्षों में अनेक कदम उठाए हैं, जो रोजगार सृजन को आवश्यक प्रोत्साहन देंगे। इसके परिणाम फिलहाल नहीं दिख सकते, लेकिन निश्चित रूप से बुनियादी काम किया जा रहा है।

  • राजमार्ग निर्माण, ग्रामीण सड़क विकास में तेजी, अगले पांच वर्षों में रेल में 8.5 लाख करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय तथा मेट्रो रेल परियोजनाओं से रोजगार को बढ़ावा मिलेगा।
  • खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में 100 प्रतिशत विदेशी प्रत्यक्ष निवेश से ग्रामीण भारत में रोजगार के अवसर पैदा होंगे और प्रत्येक वर्ष 40,000 करोड़ रुपये मूल्य के फलों तथा सब्जियों की बर्वादी में कमी सुनिश्चित होगी।
  • इससे किसानों को उत्पादों का बेहतर मूल्य सुनिश्चित होगा और ग्रामीण आबादी अपने घरे के पीछे के हिस्से का इस्तेमाल करते हुए वैकल्पिक व्यवसाय भी कर सकेगी।
  • मुद्रा योजना से कई करोड़ युवाओं को स्वरोजगार की माध्यम से रोजगार सुनिश्चित हुआ है। ग्रामीण भारत के युवा न केवल अपना रोजगार पाते हैं बल्कि स्टार्टअप में दूसरे लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं।
  • बेहतर बुनियादी संरचना के कारण संपर्क में सुधार से देश में अनेक औद्योगिक गलियारे बने हैं और ऐसे गलियारे तमिलनाडु के त्रिरुचुर, उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद, पंजाब के लुधियाना, गुजरात के सूरत और पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जैसे औद्योगिक क्लस्टरों का सृजन करेंगे।
  • अधिक मात्रा में कृषि उत्पाद वाले क्षेत्रों में खाद्य प्रसंस्करण पार्कों की स्थापना से ग्रामीण रोजगार सुनिश्चित होगा और किसानों की आमदनी बढ़ेगी।
  • मुंबई-दिल्ली, लुधियाना-कोलकाता, विशाखापत्तनम-चेन्नई तथा बेंगलुरु-मुंबई गलियारे में तेजी से काम चल रहा है। सरकार ने आने वाले वर्षों में कुछ औद्योगिक गलियारे बनाने का प्रस्ताव किया है। प्रस्ताव में विशाखापत्तनम-चेन्नई गलियारे को एक तरफ से कोलकाता तक और दूसरी ओर से तूतीकोरिन तक बढ़ाना शामिल हैं। इन कार्यों से काफी अधिक लघु स्तरीय औद्योगिक क्लस्टर बनेंगे।
  • विमुद्रीकरण और वस्तु एवं सेवा कर लागू होने से अर्थव्यवस्था का डिजिटीकरण हुआ और इससे अधिक रोजगार के अवसर पैदा होंगे। विमुद्रीकरण से भ्रष्टाचार के बिना कारोबारी सहजता में सुधार आएगा। जीएसटी कुछ प्रतिशत बिंदुओं तक जीडीपी बढ़ाने सहायक होगा।
  • स्वच्छ ऊर्जा विशेषकर सौर ऊर्जा और छतों पर बिजली उत्पादन पर मोदी सरकार के बल देने से कुशल और अर्द्धकुशल श्रमिकों के लिए रोजगार सुनिश्चित होगा। ऐसा तमिलनाडु , राजस्थान, आंध्र प्रदेश गुजरात और कर्नाटक में दिखने लगा है जहां पवन और सौर विद्युत विकास के क्षेत्र में उपलब्धि की छलांग लगाई गई है।

प्रणालीबद्ध और ढांचागत सुधारों के कारण अल्पकालिक अवधि में रोजगार सृजन में भले ही बाधा आई हो लेकिन आने वाले वर्षों में अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी और रोजगार सृजन का आधार तैयार होगा

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