जमीनी नवाचार आंदोलन को प्रोत्साहित करने के लिए वित्तीय समझौतों के डिजाइन और ढांचे पर फिर से विचार किया जाए : राष्ट्रपति

  • राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि जमीनी नवाचार आंदोलन को प्रोत्साहित करने के लिए वित्तीय प्रबंधन की डिजाइन और ढांचे पर फिर से विचार किया जाना चाहिए
  • राष्ट्रपति ने कहा कि देश में प्रत्येक वर्ष टेक्नोलॉजी के एक मिलियन विद्यार्थी पास होते हैं। जब तक हम वार्षिक रूप से 10-2000 विचारों में निवेश नहीं करते तब तक हमें बड़ी सफलता नहीं मिलेगी। अभी नवाचार आधारित स्टार्टअप के वित्त पोषण का स्तर प्रति वर्ष प्रौद्योगिकीय आधारित कुछ हजार स्टार्टअप हैं।
  •  राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा परंपरागत तरीकों से आगे निकलना महत्वपूर्ण है और उद्यमिता और नवाचार की ऐसी प्रणाली बनानी है जहां युवा रोजगार ढूंढने वालों से बदल कर रोजगार सृजक हो जाएं।
  • नीति बनाने वालों की वास्तविक चिंता यह है कि उद्यम के जीवन चक्र में काफी देर से जरूरी वित्त मिल पाता है और इसका परिणाम यह होता है कि उत्पाद और सेवा बनने से पहले बड़ी संख्या में विचार मर जाते हैं। इसलिए हमें अपने आप से यह पूछना होगा कि क्या नवाचार आधारित स्टार्टअप के वित्त पोषण के लिए हमारी नीति और संस्थागत प्रबंधों को बदला जाना चाहिए ? इसका उत्तर सर्वसम्मति से हां करना होगा।
  • राष्ट्रपति ने कहा कि नवाचारों तथा प्रारंभिक चरण के उद्यमों के वित्त पोषण को कम जटिल किया जाना चाहिए। इससे सोच में बदलाव आयेगा। हम जिस तरह सफलता को मनाते हैं उसी तरह हमें विफलताओं से सीखना भी चाहिए।
  • राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें खुशी है कि अटल नवाचार मिशन ने 500 से अधिक स्कूलों में परिवर्तनकारी लैब स्थापित किया है।
  • राष्ट्रपति ने कहा कि उभरती पारस्थिकीय प्रणाली को समुदाय, जिला और क्षेत्रीय स्तरों पर समर्थन दिया जाना चाहिए। प्रत्येक नवोदय विद्यालयों में इंक्यूबेशन केंद्र होने चाहिए ताकि कम आयु में बच्चे जोखिम उठाने में सक्षम और प्रोत्साहित हों। राष्ट्रपति ने कहा कि प्रत्येक जिले में सामुदायिक इंक्यूवेशन लैब होनी चाहिए।

साभार : विशनाराम माली 

Download this article as PDF by sharing it

Thanks for sharing, PDF file ready to download now

Sorry, in order to download PDF, you need to share it

Share Download