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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत और सोमालिया के बीच सजायाफ्ता लोगों के प्रत्यर्पण के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर करने और बाद में उसे अनुमोदित करने के लिए अपनी मंजूरी दी है।
· सोमालिया के साथ इस समझौत पर हस्ताक्षर करने से सोमालिया की जेलों में बंद भारतीय कैदियों और भारतीय जेलों में बंद सोमालिया की कैदियों को उनके निकटतम परिवार से संपर्क करने, शेष सजा पूरी करने और उनके सामाजिक पुनर्वास में मदद मिलेगी।
· भारत सरकार ने सजायाफ्ता लोगों के प्रत्यर्पण के लिए ब्रिटेन, मॉरिशस, बुल्गारिया, फ्रांस, मिस्र, श्रीलंका, कंबोडिया, दक्षिण कोरिया, सउदी अरब, ईरान, बांग्लादेश, ब्राजील, इजराइल, बोस्निया एवं हर्जेगोविना, यूएई, इटली, तुर्की, मालदीव, थाइलैंड, रशियन फेडरेशन, कुवैत, वियतनाम, ऑस्ट्रेलिया, हॉन्गकॉन्ग, कतर, मंगोलिया, कजाकिस्तान, बहरीन और एस्टोनिया के साथ द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
पृष्ठभूमि:
2004 से पहले कोई न तो ऐसा घरेलू कानून था जिसके तहत विदेशी कैदियों को शेष सजा काटने के लिए उनके मूल देश को प्रत्यर्पित किया जा सके और न ही ऐसा कोई प्रावधान था जिसके तहत विदेशी अदालतों द्वारा दोषी ठहराए गए भारतीय मूल के कैदियों को शेष सजा काटने के लिए भारत लाया जा सके। इस तरह के कैदियों को उनके अपने मूल देशों को प्रत्यपर्ति करने से उनके सामाजिक पुनर्वास की सुविधा मिलेगी।
इसलिए उपरोक्त उद्देश्यों को पूरा करने के लिए कैदियों के प्रत्यावर्तन अधिनियम 2003 को लागू किया गया था। इस अधिनियम के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए इस मुद्दे पर हमारे साथ पारस्पिरिक हित वाले देशों के साथ एक संधि/समझौते पर हस्ताक्षर करने की आवश्यकता है। इस संधि/समझौते को आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचित करना आवश्यक है।