ग्रामीण योजनाओं में पिछले 3 वर्षों में 813 करोड़ व्यक्ति दिवसों का रोजगार सृजित किया

  • ग्रामीण विकास मंत्रालय ने पिछले तीन वर्षों (2014-17) के दौरान मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना, ग्रामीण (पीएमए-जी) और प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) जैसी योजनाओं में 813 करोड़ व्यक्ति दिवसों से अधिक रोजगार के अवसर जुटाए हैं
  • पिछले तीन वर्षों के दौरान एमजीएनईआरईजीए के तहत 636.78 करोड़ व्यक्ति दिवस, पीएमजीएसवाई के तहत 78 करोड़ व्यक्ति दिवस और पीएमएई के तहत 99 करोड़ व्यक्ति दिवस रोजगार जुटाए गए। इसके अलावा दीन दयाल उपाध्याय-ग्रामीण कौशल योजना (डीडीवाई-जीकेवाई) के अंतर्गत वर्ष 2014-15 में 86,120 उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया गया और 54,196 को रोजगार मिले। इसी तरह 2015-16 में लगभग 1,35000 उम्मीदवारों को कौशल प्रशिक्षण दिया गया, जबकि 2016-17 में 84,900 उम्मीदवारों को रोजगार मिले।
  • सरकार 2022 तक "सभी के लिए आवास" के लिए अपने उद्देश्य के अनुरूप सरकार 2019 तक ग्रामीण क्षेत्रों में 1 करोड़ गरीब लोगों को मकान उपलब्ध कराने का इरादा रखती है। 2014-15 से 2015-16 के दौरान पूर्ववर्ती इंदिरा आवास योजना (आईएवाई) के तहत 45.98 लाख घरों के लक्ष्य के मुकाबले 34.82 लाख घरों का निर्माण किया गया है। 2016-17 के दौरान 32.14 लाख मकानों का निर्माण पूरा किया गया है और इस पर 16,07 करोड़ रूपये खर्च हुए।
  • सड़क निर्माण की गति बढ़कर 130 किलोमीटर के रिकार्ड स्‍तर तक पहुंच गई है। जो पिछले 7 वर्षों में सर्वाधिक औसत वार्षिक निर्माण दर है। 2016-17 के दौरान पीएमजीएसवाई के तहत 47,447 किलोमीटर सड़कों का निर्माण हुआ, जिससे 11,641 बस्तियों से संपर्क स्‍थापित हुआ। 2016-17 के दौरान एलडब्ल्यूई प्रभावित क्षेत्रों में सड़क संपर्क परियोजना के तहत 9 एलडब्ल्यूई प्रभावित राज्यों के सबसे बुरी तरह प्रभावित 44 जिलों के साथ साथ और आसपास के जिलों में सभी मौसम के लिए सड़कों का निर्माण पर 11,725 ​​करोड़ रुपये अनुमानित लागत के साथ शुरू किया गया है यह काम मार्च 2020 तक पूरा हो जाएगा।
  •  पीने का पानी उपलब्‍ध कराना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और सरकार 2030 तक प्रत्येक घर में सतत आधार पर नल का पानी उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्‍होंने कहा कि 'हर घर जल' का सपना नागरिकों की भागीदारी के बिना प्राप्‍त नहीं किया जा सकता। देश में करीब 28,000 प्रभावित बस्तियों को मार्च 2021 तक सुरक्षित पीने का पानी उपलब्ध कराने (आर्सेनिक और फ्लोराइड पर राष्ट्रीय जल गुणवत्ता उप मिशन) पर 25,000 करोड़ रुपये के परिव्यय निर्धारित किया गया है और पेयजल और स्वच्छता की चुनौतियों का समाधान करने के लिए धन देने में किसी भी राज्य के साथ पक्षपात नहीं किया जाएगा।

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