रवांडा की राजधानी किगाली में मांट्रियल संधि में संशोधन पर 197 देशों की सहमति

Background:

 मांट्रियल प्रोटोकॉल को 1987 में मान्यता दी गई और 1 जनवरी 1989 से यह प्रोटोकॉल प्रभावी रूप से लागू हुआ ।

मांट्रियल संधि का मुख्य उद्देश्य - ओजोन परत के क्षरण का कारण बन रही गैसों यथा CFC's ,HCFC's के उपयोग को चरणबद्ध ढंग से समाप्त करना है । इस संधि में समय-समय पर संशोधन कर इसे और कारगर बनाने के प्रयास हुए ताकि ओजोन परत के क्षरण को रोकने के साथ-साथ वैश्विक तापन /जलवायु परिवर्तन से निपटने के उपाय भी इसमें समावेशित किये  जा सके । 

Use of HFC and issues arising out of it

CFC's पर प्रतिबंध के बाद वैश्विक समुदाय द्वारा रेफ्रिजरेटर व एयरकंडीशनर में प्रशीतक के रूप में ओजोन परत को प्रभावित नहीं करने वाली गैस HFC's( हाइड्रोफ्लोरोकार्बनस्)  प्रयुक्त की जाने लगी , लेकिन इस गैस की वैश्विक तापन संभावना (Global warming potential) कार्बन डाई आक्साइड गैस की तुलना में हजारों गुना अधिक है , इसलिए जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु    प्रतिबद्ध वैश्विक समुदाय के समक्ष इस ग्रीन हाउस गैस के उपयोग को घटाने की जिम्मेदारी अधिक बढ गई जिसके  परिणाम स्वरूप किगाली समझौता अस्तित्व में आया  

kigali

किगाली समझौता

  • रवांडा के किगाली में 28 वीं पार्टिज बैठक में मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में हाइड्रोफ्लोरोकार्बन(एचएफसी) संशोधन पर 197 देशों ने सहमति जाहिर की तथा , यह समझौता 1जनवरी 2019 से प्रभावी होगा जो की कानूनी रूप से बाध्यकारी होगा ।
  •  यह समझौता सामान्य सिद्धांत की पुष्टि करता है लेकिन जिम्मेदारियों और अपनी-अपनी क्षमताओं(सीबीडीआर एवं आरसी) के बीच अंतर करता है। भारत जैसे उच्च विकास की जरूरत वाली आर्थिक व्यवस्थाओं की जरूरतों को मान्यता देता है ,तथा उच्च वैश्विक तापन संभावना वाली गैस एचएफसी के उपयोग में कटौती को चरणबद्ध तरीके से लागू करने का व्यवहारिक तथा वास्तविक रोडमेप प्रदान करता है
  • इस समझौते में HFC's में कटौती से इस सदी के अंत तक वैश्विक ताप में 0.5 डिग्री कम करने का लक्ष्य रखा गया है ।
  • इस समझौते के अनुसार अमीर देश , गरीब देशों की तुलना में पहले एचएफसी उपयोग को घटाने के प्रयास करेंगें।
  • एचएफसी के उपयोग को रोकने के लिए निर्धारित लक्ष्यों व समयबद्धता के आधार पर विश्व के राष्ट्रों को  तीन समुह में बांटा गया है
  • पहले समूह में संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ तथा अन्य विकसित राष्ट्र  है जो 2019 तक HFC's  उपयोग को 2011-13 के उपयोग स्तर से 10% कम करेंगे तथा 2036 तक इसका इस्तेमाल 85% तक कम करना है ।                               
  • दुसरे समुह में विकासशील राष्ट्रों में से  चीन व अफ्रीकी राष्ट्रों को सम्मिलित किया गया है ,यह राष्ट्र 2019 से एचएफसी उपयोग घटाने की शुरुआत करेंगे तथा 2029 तक 2020-22 के उपयोग स्तर से 10% कमी करेंगे ,साथ ही इन्हें 2045 तक इसके इस्तेमाल मे 80% तक की कटौती करना है।
  • तीसरे समुह में भारत ,पाक,ईरान,इराक तथा अरब की खाडी के राष्ट्र सम्मिलित है जिन्हें एचएफसी उपयोग में कटौती की शुरूआत 2028 से करनी है तथा 2032 तक 2024-26 के उपयोग स्तर से 10% कमी करनी है और 2047 तक इसके इस्तेमाल में 85% तक कटौती करना है।

साभार : विशनाराम 

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