मजदूरी विधेयक 2017 सम्‍बंधी संहिता

श्रम कानून सुधारों के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। सरकार ने 38 श्रम अधिनियमों को तर्कसंगत बनाने की शुरूआत की है। इसके तहत 4 श्रम संहिताएं तैयार की जा रही हैं, जिनमें मजदूरी सम्‍बंधी संहिता, औद्योगिक सम्‍बंधों के लिए संहिता, सामाजिक सुरक्षा सम्‍बंधी संहिता तथा पेशागत सुरक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य और कामकाजी माहौल सम्‍बंधी संहिता शामिल हैं।

मजदूरी विधेयक 2017 सम्‍बंधी संहिता लोकसभा में पेश की गई थी। इसके तहत 4 मौजूदा कानूनों को एक नियम के तहत लाया गया है। इनमें न्‍यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948; मजदूरी भुगतान अधनियम, 1936; बोनस भुगतान अधिनियम, 1965 और समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976 शामिल कर लिए गए हैं। अब इन चारों अधिनियमों को निरस्‍त माना जाएगा।

  • न्‍यूनतम मजदूरी अधिनियम और मजदूरी भुगतान अधिनियम के प्रावधानों के दायरे में अधिकांश मजदूर नहीं आते थे। नई मजदूरी संहिता के तहत अब सभी कर्मचारियों के लिए न्‍यूनतम मजदूरी सुनिश्‍चित की जाएगी।
  • राष्‍ट्रीय न्‍यूनतम मजदूरी के विचार को प्रोत्‍साहन दिया गया है, जिसके दायरे में विभिन्‍न भौगोलिक क्षेत्र रखे गए हैं। अब कोई भी राज्‍य सरकार राष्‍ट्रीय न्‍यूनतम मजदूरी से कम मजदूरी तय नहीं करेगी।
  • चेक या डिजिटल/इलेक्‍ट्रॉनिक तरीके से प्रस्‍तावित मजदूरी भुगतान के जरिए मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा मिलेगी। संहिता के तहत विभिन्‍न प्रकार के उल्‍लंघन होने पर जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
  • मजदूरी विधेयक, 2017 सम्‍बंधी संहिता में केंद्र सरकार ने ‘राष्‍ट्रीय न्‍यूनतम मजदूरी’ जैसी कोई रकम न तो तय की है और न उसका उल्‍लेख किया है। इसलिए 18,000 रुपये मासिक न्‍यूनतम मजदूरी रिकवरी गलत और आधारहीन हैं। न्‍यूनतम मजदूरी आवश्‍यक कुशलता, परिश्रम और भौगोलिक स्‍थिति के अनुसार तय की जाएगी।
  • मजदूरी विधेयक, 2017 सम्‍बंधी संहिता के उपखंड 9 (3) में स्‍पष्‍ट रूप से कहा गया है कि केंद्र सरकार राष्‍ट्रीय न्‍यूनतम मजदूरी तय करने से पहले केंद्रीय सलाहकार बोर्ड से परामर्श लेगी।

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