केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय जलमार्ग (एनडब्ल्यू) के विकास एवं रखरखाव के लिए 2.5 प्रतिशत सेंट्रल रोड फंड के आवंटन के लिए सेंट्रल रोड फंड ऐक्ट, 2000 में संशोधन के लिए जहाजरानी मंत्रालय और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) द्वारा संयुक्त रूप से तैयार प्रस्ताव मंजूरी दे दी है। इस प्रस्ताव में राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास के लिए मुहैया कराई गई हिस्सेदारी में कमी की गई है। मंत्रिमंडल ने यह भी निर्देश दिया है कि व्यवहार्य राष्ट्रीय जलमार्ग परियोजनाओं को लागू करते समय पीपीपी आधार पर हो सकने वाले ऐसे सभी घटकों पर गौर किया जाना चाहिए और सरकारी निवेश का इस्तेमाल तभी किया जाना चाहिए जब किसी घटक के लिए निजी निवेश उपलब्ध न हो सके।
संसद के आगामी मॉनसून सत्र में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा सेंट्रल रोड फंड (संशोधन) विधेयक, 2017 लाया जाएगा।
प्रभाव
2.5 प्रतिशत सीआरएफ के आवंटन से सीआरएफ के वित्तपोषण के मौजूदा शुल्क दरों पर राष्ट्रीय जलमार्गों के विकास एवं रखरखाव के लिए करीब 2,000 करोड़ रुपये प्रति वर्ष उपलब्ध होंगे। भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) के आकलन के अनुसार पहचान की गई राष्ट्रीय जलमार्ग परियोजनाओं के विकास के लिए 2022-23 तक करीब 25,000 करोड़ रुपये की जरूरत होगी। इस संबंध में एनडब्ल्यू-1 (गंगा नदी) पर जलमार्ग विकास परियोजना के तहत मल्टी मॉडल टर्मिनल के निर्माण, नई नेविगेशन लॉक, नदी सूचना प्रणाली, फेयरवे का विकास आदि निर्माण कार्य पहले ही शुरू किए जा चुके हैं। आईडब्ल्यूएआई ने अगले तीन वर्ष के दौरान 24 एनडब्ल्यू के विकास पर काम करने की भी योजना बनाई है।
अगले पांच साल के दौरान इनलैंड वाटरवेज ट्रांसपोर्ट (आईडब्ल्यूटी) क्षेत्र में करीब 1.8 लाख लोगों के लिए रोजगार के अवसर सृजित होने का अनुमान है। फेयरवेज के प्रबंधन, टर्मिनल, नेविगेशन उपकरणों, बैराज, प्रशिक्षण आदि में रोजगार के नए अवसर सृजित होने का अनुमान है। इसके अलावा 106 अतिरिक्त एनडब्ल्यू के विकास से रोजगार की अतिरिक्त संभावनाएं पैदा होंगी।
पृष्ठभूमि
सरकार राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए अंतर्देशीय जल परिवहन क्षेत्र के विकास के महत्व पर जोर दे रही है। मौजूदा पांच राष्ट्रीय जलमार्गों और 106 नए राष्ट्रीय जलमार्गों के विकास एवं रखरखाव के लिए संसद द्वारा राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम, 2016 को पारित किया गया जो अब लागू है। मंत्रिमंडल से अनुमोदित इस व्यवस्था के जरिये अब सीआरएफ के संस्थागत माध्यम से राष्ट्रीय जलमार्गों के लिए वित्त पोषण का पर्याप्त एवं टिकाऊ स्रोत उपलब्ध हो सकेगा। यह अंतर्देशीय जल परिवहन क्षेत्र को बढ़ावा देने की दिशा में उठाया गया एक और कदम है जिससे सस्ता, लॉजिस्टिक के लिहाज से कुशल एवं पर्यावरण के अनुकूल परिवहन सुनिश्चित हो सकेगा। साथ ही इससे जबरदस्त भीड़भाड़ वाले सड़क मार्ग एवं रेलवे से यातायात को जलमार्ग की ओर मोड़ा जा सकेगा और इस क्षेत्र में निवेश के लिए निजी कंपनियों को प्रोत्साहित किया जा सकेगा। एक अनुमान के अनुसार, एक स्टैंडर्ड 2000 डीडब्ल्यूटी जहाज में 125 ट्रकों के भार और पूरे एक ट्रेन रेक (40 रेल डिब्बों) के बराबर परिवहन की क्षमता होती है।