भारत से कराधान क्षरण एवं लाभ स्थानांतरण को रोकने वाली कर संधि को लागू करने के लिए बहुपक्षीय कन्वेंशन पर हस्ताक्षर करने को मंजूरी दी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कराधान क्षरण एवं लाभ स्थानांतरण को रोकने वाली कर संधि को लागू करने के लिए बहुपक्षीय कन्वेंशन पर हस्ताक्षर करने को अपनी मंजूरी दे दी है। यह कन्वेंशन ओईसीडी/जी20 बीईपीएस परियोजना का हि‍स्‍सा  है। इसका लक्ष्य कर नियोजन रणनीतियों के माध्यम से ऐसे कराधान क्षरण एवं लाभ स्थानांतरण से निपटना है, जो कर नियमों में अंतर और असंतुलन का लाभ उठाते हुए कृत्रिम रूप से लाभ को ऐसे कम कर या कर रहित देशों में स्थानांतरित कर देते हैं, जहां आर्थिक गतिविधियां नहीं होती या न के बराबर होती हैं। इसका परिणाम यह होता है कि उन्हें या तो बहुत कम या फि‍र कोई कार्पोरेट कर नहीं देना पड़ता है। 

 अंतिम बीईपीएस परियोजना में बीईपीएस को एक व्यापक तरीके से संबोधित करने के लिए 15 तरह की कार्रवाई की पहचान की गई थी। अंतिम बीईपीएस पैकेज के कार्यान्वयन में 3000 से अधिक द्विपक्षीय कर संधियों में बदलाव की जरुरत है, जो कि बोझिल और समय लेने वाली प्रक्रिया है। इसी के मद्देनजर, कन्वेंशन एक बहुपक्षीय साधन पर सहमत हो गया, जो बीईपीएस उपायों को लागू करने के लिए सभी कवर द्विपक्षीय कर संधियों (कवर कर व्यवस्था/सीटीए) को तेजी से संशोधित करेगा। इसके लिए, एक बहुपक्षीय साधन विकसित करने के लिए एक तदर्थ समूह (एड-हॉक ग्रुप) के गठन पर फरवरी 2015 में हुए जी20 से वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों ने सहमति जताई थी।

 पृष्ठभूमिः

  • भारत 100 से अधिक देशों के तदर्थ समूह (एड-हॉक ग्रुप) का हिस्सा है और इसका अधिकार क्षेत्र जी20, ओईसीडी, बीईपीएस सहयोगी तथा अन्य इच्छुक देशों तक है। इसने मई 2015 से, बहुपक्षीय कन्वेंशन के पाठ को अंतिम रूप देने के लिए समान स्तर पर काम किया। कन्वेंशन के पाठ और उसके साथ व्याख्यात्मक वक्तव्य को 24 नवंबर 2016 को एड-हॉक ग्रुप द्वारा स्वीकार कर लिया गया।
  • यह कन्वेंशन संधि का दुरुपयोग रोकने और पारस्परिक समझौते की प्रक्रिया के माध्यम से विवाद के हल के लिए दो न्यूनतम मानक लागू करता है। यह कन्वेंशन उस तरह से काम नहीं करेगा जिस तरह से एक मौजूदा संधि में एक संशोधित प्रोटोकॉल करता है, जो कवर किए गए कर समझौतों के पाठ में सीधे संशोधन करता है। इसकी जगह, यह मौजूदा कर संधियों के साथ लागू होगा, बीईपीएस उपायों को लागू करने के लिए अपने एप्लीकेशन को संशोधित करेगा। यह कन्वेंशन बहुपक्षीय संदर्भ में बीईपीएस परियोजना के कार्यान्वयन में स्थिरता और निश्चितता सुनिश्चित करता है। यह कन्वेंशन एक विशेष कर संधि को अलग करने और कुछ रोक लगाकर प्रावधानों या प्रावधानों के कुछ हिस्सों से बाहर निकलने के लिए लचीलापन भी प्रदान करता है।
  • इस कन्वेंशन को हस्ताक्षर के लिए 31 दिसंबर 2016 को खोला गया था और इसका पहला संयुक्त हस्ताक्षर समारोह 7 जून 2017 को पेरिस में आयोजित होना है। हस्ताक्षर कन्वेंशन द्वारा बाध्य होने की सहमति व्यक्त करने की प्रक्रिया में पहला कदम है, जो केवल संपुष्टि (रेक्टीफिकेशन) पर बाध्यकारी हो जाएगा। हस्ताक्षर के समय अथवा संपुष्टि का दस्तावेज जमा कराते समय कवर किए गए कर समझौतों की सूची के साथ-साथ रोकों की सूची और किसी देश द्वारा चुने गए विकल्पों की आवश्यकता होगी। 
  • भारत द्वारा कन्वेंशन पर हस्ताक्षर करने के लिए कैबिनेट की मंजूरी मांगी गई थी। जून, 2017 में हस्ताक्षर के समय कवर किए गए कर समझौतों की एक अस्थायी सूची और रोकों की अस्थायी सूची बनाने का भी प्रस्ताव है। इन दोनों की अंतिम सूचियां भारत द्वारा संपुष्टि का दस्तावेज प्रस्तुत करने के समय पेश की जाएंगी।
  • भारत में मौजूदा कर संधियों में तेजी से संशोधन के माध्यम से बहुपक्षीय कन्वेंशन पर हस्ताक्षर से बीईपीएस परिणामों के एप्लीकेशन लागू हो सकेंगे। यह सुनिश्चित करना भारत के हित में होगा कि उसके सभी संधि सहयोगी बीईपीएस दुरुपयोग विरोधी परिणामों को अपनाए। कन्वेंशन पर हस्ताक्षर करने से संधि के दुरुपयोग से होने वाली राजस्व हानि और कराधान क्षरण एवं लाभ स्थानांतरण की रणनीतियों को रोका जा सकेगा। इसमें यह सुनिश्चित किया जाएगा कि वहां मुनाफे पर कर लगेगा, जहां मुनाफा पैदा करने वाली वास्तविक आर्थिक गतिविधियां चलती हैं और वैल्यू बनाई जाती है।

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