India & Milk production:
भारत 1998 से विश्व के दूध उत्पादक राष्ट्रों में पहले स्थान पर है तथा यहां विश्व की सबसे बड़ी गोपशु आबादी है। भारत में 1950-51 से लेकर 2014-15 के दौरान दूध उत्पादन 17 मिलियन टन से बढ़कर 146.31 मिलियन टन हो गया है। 2015-16 के दौरान दूध उत्पादन 155.49 मिलियन टन था। देश में उत्पादित दूध का लगभग 54% घरेलू बाजार में विपणन के लिए अधिशेष है, जिसमें से मात्र 20.5% ही संगठित सेक्टर द्वारा क्रय कर प्रसंस्कृत किया जाता है। अधिक दूध के उत्पादन व दुग्ध किसानों के हितार्थ, इस प्रतिशत हिस्सा को बढ़ाना होगा जिससे कि अधिकाधिक दुग्ध संगठित बाजार से लाभान्वित हो सके।
Need for improving infrastructure
स्पष्ट है कि, बढ़ती हुई मांग को पूरा करने के लिए (2021-22 तक 200-210 मिलियन एमटी तक होने का अनुमान है), देश को ग्राम स्तर पर, विशेष रूप से दूध की खरीद और उच्च मूल्य वाले दूध उत्पादों के उत्पादन के लिए अवसंरचना के उन्नयन की आवश्यकता है। लक्ष्य ग्रामीण दूध उत्पादकों की पहुंच बढ़ाकर संगठित दूध प्रसंस्करण तक पहुंचाने का है ताकि कार्य स्तर पर उत्पादकों की आय बढ़ सके। पशुपालन, डेयरी और मत्स्यपालन विभाग ने डेयरी विकास के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना का प्रारूप तैयार किया है जिसमें थोक मिल्क कूलिंग, प्रसंस्करण अवसंरचना, मूल्य संवर्धित उत्पाद (वीएपी), दूध इकट्टा करने के केंद्र/डेयरी सहकारिता सोसाइटियों का संवर्द्धन तथा बढ़े हुए दूध के हैडंलिंग की आवश्यकताआ को पूरा करने के लिए दूध ढुलाई सुविधा तथा विपणन अवसंरचना सहित दूध शीतन सुविधाओं का सृजन शामिल है।
LOAN from Japanese bank
इन्हीं कारणों से केन्द्र सरकार ने अगले पांच वर्षों तक किसानों की आय को दोगुना करने के सरकार के लक्ष्य के अनुरूप “सहकारिताओं के माध्यम से डेयरी व्यवसाय-राष्ट्रीय डेयरी अवसंरचना योजना” के लिए जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जाईका) से ऋण प्राप्त करने के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया है। इस परियोजना का कुल परिव्यय 20,057 करोड़ रुपए है। परियोजना के मुख्य लाभ, यथा, 1.28 लाख अतिरिक्त गांवों में 121.83 लाख अतिरिक्त दूध उत्पादकों को आच्छादित करना, ग्राम स्तर पर 524.20 लाख कि.ग्रा. दूध प्रतिदिन की दूध शीतन क्षमता का सृजन करने जिस हेतु ग्राम स्तर पर 1.05 लाख बल्क मिल्क कूलर स्थापित करना तथा 76.5 लाख कि.ग्रा. प्रतिदिन की क्षमता वाली दूध और दूध उत्पाद प्रससंस्कण अवसंरचना का सृजन करना है। इसके अलावा परियोजना के तहत ऑपरेशन फल्ड के समय के जर्जर 20-30 वर्षों पहले बनाए गए पुराने दूध तथा दूध उत्पाद संयंत्रों का नवीनीकरण/विस्तार करेगा तथा मूल्य संवर्धित उत्पादों के लिए दूध और दूध उत्पाद संयंत्रों का भी सृजन करना है जिससे लगभग 160 लाख विद्यमान किसानों को लाभ होगा। समस्त योजना का क्रियान्वयन राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के माध्यम से किया जाएगा। आर्थिक कार्य विभाग ने इस प्रस्ताव को जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जाईका) हेतु सैद्धान्तिक सहमति भेज दी है।