स्वास्थ्य और परिवार कल्याण 1 सितम्बर से 7 सितम्बर, 2017 तक राष्ट्रीय पोषण सप्ताह मना रहा है। इस वर्ष राष्ट्रीय पोषण सप्ताह का विषय है “नवजात शिशु एवं बाल आहार प्रथाएं (आईबाईसीएफ): बेहतर बाल स्वास्थ्य”।
- नवजात शिशु एवं बाल आहार प्रथाओं को अधिकतम बढ़ावा देने के लिए मंत्रालय ने “मां- मां की असीम ममता” कार्यक्रम शुरू किया है ताकि देश में स्तनपान का दायरा बढ़ाया जा सके।
- मां कार्यक्रम के अंतर्गत स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए जिला और ब्लॉक स्तर पर कार्यक्रम प्रबंधकों सहित डॉक्टरों, नर्सों और एएनएम के साथ करीब 3.7 लाख आशा और करीब 82,000 स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को संवेदनशील बनाया गया है और 23,000 से ज्यादा स्वास्थ्य सुविधा कर्मचारियों को आईबाईसीएफ प्रशिक्षण दिया गया है।
- साथ ही उपयुक्त स्तनपान परंपराओं के महत्व के संबंध में माताओं को संवेदनशील बनाने के लिए ग्रामीण स्तरों पर आशा द्वारा 1.49 लाख से अधिक माताओं की बैठकें आयोजित की जा चुकी हैं।
Importance of breastfeeding
बच्चों के स्वास्थ्य के लिए स्तनपान महत्वपूर्ण है। जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान नवजात शिशुओं की मृत्यु के 20 प्रतिशत मामलों को कम कर देता है। नवजात शिशुओं को जिन्हें मां का दूध नहीं मिल पाता उनकी स्तनपान करने वाले बच्चों की तुलना में निमोनिया से 15 गुना और पेचिश से 11 गुना अधिक मृत्यु की संभावना रहती है। साथ ही स्तनपान नहीं करने वाले बच्चों में मधुमेह, मोटापा, एलर्जी, दमा, ल्यूकेमिया आदि होने का भी खतरा रहता है। स्तनपान करने वाले बच्चों का आईक्यू भी बेहतर होता है
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