- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 6 करोड़ ग्रामीण परिवारों को डिजिटल रूप से साक्षर बनाने के लिए 'प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान' (पीएमजीडीआईएसएचए) को मंजूरी दी है।
- मार्च 2019 तक ग्रामीण भारत को डिजिटल साक्षरता में प्रवेश कराने के लिए इस परियोजना का कुल परिव्यय 2,351.38 करोड़ रुपये है।
- यह केंद्रीय बजट 2016-17 में वित्त मंत्री द्वारा की गई घोषणा के अनुरूप है।
- पीएमजीडीआईएसएचए को दुनिया के सबसे बड़े डिजिटल साक्षरता कार्यक्रमों में से एक होने की उम्मीद है। इस योजना के तहत वित्त वर्ष 2016-17 में 25 लाख उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया जाएगा, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 में 275 लाख और वित्त वर्ष 2018-19 में 300 लाख उम्मीदवारों को प्रशिक्षित करने की योजना है।
- इसके लिए न्यायसंगत भौगोलिक पहुंच सुनिश्चित करने के उद्देश्य से 2,50,000 ग्राम पंचायतों में से प्रत्येक से औसतन 200 से 300 उम्मीदवारों को पंजीकृत किए जाने की उम्मीद है।
- डिजिटल रूप से साक्षर व्यक्ति कंप्यूटर/डिजिटल ऐक्सेस डिवाइसों (जैसे टैबलेट, स्मार्टफोन आदि) को संचालित करने, ईमेल भेजने व प्राप्त करने, इंटरनेट को ब्राउज करने, सरकारी सेवाओं को ऐक्सेस करने, सूचनाओं के लिए सर्च करने, नकदी रहित लेनदेन करने आदि में समर्थ होंगे। इस प्रकार वे राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए आईटी का उपयोग करेंगे।
पृष्ठभूमि:
साल 2014 में शिक्षा पर एनएसएसओ के 71वें सर्वेक्षण के अनुसार, महज 6 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास कंप्यूटर है। इससे यह तथ्य उजागर होता है कि 15 करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवारों (16.85 करोड़ परिवारों का 94 प्रतिशत) के पास कंप्यूटर नहीं है और इनमें से एक उल्लेखनीय संख्या में परिवारों के डिजिटल रूप से साक्षर न होने की संभावना है। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत शुरू होने वाला पीएमजीडीआईएसएचए ग्रामीण क्षेत्र में 6 करोड़ परिवारों को कवर करेगा और उन्हें डिजिटल रूप से साक्षर बनाएगा। यह नागरिकों को कंप्यूटर/डिजिटल ऐक्सेस डिवाइस के संचालन के लिए सूचना, ज्ञान एवं कौशल प्रदान करते हुए उन्हें सशक्त बनाएगा।