देश में उपलब्ध दवाइओं की गुणवत्ता की जांच के लिए कठोर कदम

 

सरकार ने देश में उपलब्ध दवाइओं की गुणवत्ता जांचने के लिए अनेक कठोर कदम उठाए हैं| वर्ष 2014-16 के दौरान राष्ट्रीय दवा सर्वेक्षण में 3.16 प्रतिशत दवाइएं मानकों के अनुरूप गुणवत्तापूर्ण नहीं पाई गईं। सरकार ने दवाइओं की गुणवत्ता जांचने के लिए जो कठोर कदम उठाए हैं वे इस प्रकार हैं –

  • मिलावटी और नकली दवा निर्माताओं के खिलाफ कठोर कार्रवाई के लिए वर्ष 1940 के औषध एवं प्रसाधन अधिनियम को औषध एवं प्रसाधन अधिनियम 2008 के तहत संशोधित किया गया।
  • राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से विशेष न्यायालयों के गठन की अपील की गई ताकि औषध एवं प्रसाधन अधिनियम के तहत दोषियों के विरूद्ध त्वरित गति से मुकदमा चलाया जा सके। अब तक 22 राज्य इस तरह के न्यायालय स्थापित कर चुके हैं।
  • नकली दवाओं को रोकने में जनभागीदारी के उद्देश्य से भारत सरकार ने ह्विसल ब्लोअर योजना घोषित की है। योजना के तहत संबंधित नियमन अधिकारियों को नकली दवाओं की पुख्ता सूचना देने वालों को ईनाम दिया जाएगा। इस नीति की विस्तृत जानकारी सीडीएससीओ की वेबसाइट(www.cdsco.nic.in) पर उपलब्ध है।
  • दवाओं के नमूने गुणवत्ता मानकों के अनुरूप न पाए जाने और दवाओं के नकली होने पर औषध एवं प्रसाधन अधिनियम, 2008 के तहत कार्रवाई संबंधी निर्देश राज्यों के दवा नियंत्रकों को भेज दिए गए।
  • निरीक्षण कर्मचारियों को देशभर में दवाइओं पर सख्त निगरानी रखने और जांच के लिए उनके नमूने लेने के निर्देश दिए गए।
  • केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) में वर्ष 2008 में स्वीकृत 111 पदों की संख्या बढ़ाकर वर्ष 2017 में 510 कर दी गई।
  • सीडीएससीओ के अंतर्गत चल रही दवा जांच प्रयोगशालाओं की क्षमता बढ़ाई गई।
  • दवाइओं की गुणवत्ता से खिलवाड़ करने वाले तत्वों से निपटने के उद्देश्य से सरकार ने 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान केंद्र और राज्यों के दवा नियमन तंत्र को और प्रभावी एवं मजबूत बनाने का निर्णय लिया है। कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने केंद्र और राज्यों के दवा नियमन तंत्र को मजबूत और प्रभावी बनाने के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया है। इस काम पर कुल 1750 करोड़ रुपये का खर्च आयेगा जिसमें केंद्र का हिस्सा 850 करोड़ रुपये होगा। राज्यों में केंद्र और राज्यों का हिस्सा 60:40 का होगा। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और पूर्वोत्तर राज्यो में यह हिस्सा 90:10 का होगा।

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