पर्यटन मंत्रालय आप्रवासन ब्यूरो (बीओआई) से प्राप्त राष्ट्रीयता-वार एवं बंदरगाहवार आंकड़ों के आधार पर विदेशी पर्यटकों के आगमन (एफटीए) के मासिक अनुमानों का संकलन करता । इसी के अनुसार जनवरी, 2016 की तुलना में जनवरी, 2017 के दौरान 16.5 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जो इसी अवधि के दौरान जनवरी, 2015 की तुलना में जनवरी, 2016 की 6.8 प्रतिशत की वृद्धि से अधिक है। जनवरी, 2016 में 0.88 लाख की तुलना में 1.52 लाख लोगों द्वारा ई-वीजा पंजीकरण करवाने से जनवरी, 2016 की तुलना में जनवरी, 2017 के दौरान ई-वीजा पर आने वाले पर्यटकों की संख्या में 72 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। स्पष्ट है कि 2017 में ई-वीजा सुविधा का लाभ उठाने वाले पर्यटकों का हिस्सा जनवरी, 2016 के 10.4 प्रतिशत से बढ़कर 15.5 प्रतिशत हो गया। इससे ई-वीजा सुविधा की सफलता का पता चलता है।
- शीर्ष 15 स्रोत देशों में जनवरी, 2017 के दौरान भारत में एफटीए में सर्वाधिक हिस्सा अमेरिका (15.01 प्रतिशत) का रहा। इसके बाद हिस्सा क्रमश: बांग्लादेश (14.91 प्रतिशत), ब्रिटेन (11.11 प्रतिशत), कनाडा (4.63 प्रतिशत), रूसी संघ (4.46 प्रतिशत), ऑस्ट्रेलिया (3.65 प्रतिशत), मलेशिया (3.15 प्रतिशत), जर्मनी (2.92 प्रतिशत), फ्रांस (2.89 प्रतिशत), चीन (2.54 प्रतिशत), श्रीलंका (2.45 प्रतिशत), जापान (2.15 प्रतिशत), अफगानिस्तान (1.84 प्रतिशत), कोरिया गणराज्य (1.61 प्रतिशत), और नेपाल (1.60 प्रतिशत) का रहा।
- शीर्ष 15 हवाई अड्डों पर जनवरी 2017 के दौरान भारत में एफटीए में सर्वाधिक हिस्सा दिल्ली हवाई अड्डा (28.30 प्रतिशत) का रहा। इसके बाद हिस्सा क्रमशः मुंबई हवाई अड्डा (18.23 प्रतिशत), हरिदासपुर लैंड चेक पोस्ट (8.17 प्रतिशत) , चेन्नई हवाई अड्डा (7.32 प्रतिशत), गोवा हवाई अड्डा (6.51 प्रतिशत), बेंगलुरू हवाई अड्डा (5.32 प्रतिशत), कोलकाता हवाई अड्डा (4.32 प्रतिशत), कोच्चि हवाई अड्डा (3.73 प्रतिशत), अहमदाबाद हवाई अड्डा (3.37 प्रतिशत), हैदराबाद हवाई अड्डा (2.74 प्रतिशत), गेडे रेल (1.77 प्रतिशत), त्रिवेंद्रम हवाई अड्डा (1.62 प्रतिशत), त्रिची हवाई अड्डा (1.38 प्रतिशत), गोजदंगा लैंड चैक पोस्ट (1.08), और अमृतसर हवाई अड्डा (1.02 प्रतिशत) का रहा।
- ई-वीजा पर विदेशी पर्यटक आगमन (एफटीए):--जनवरी, 2016 में 0.88 लाख पर्यटकों के आगमन की तुलना में जनवरी, 2017 के दौरान ई-वीजा पर कुल 1.52 लाख पयर्टकों का आगमन हुआ, जो 72.0 प्रतिशत अधिक था।
साभार : विशनाराम माली