जीका वायरस से फैलने वाली बीमारी पर प्रेस विज्ञप्ति

पिछले वर्ष मानसून के बाद गुजरात में वेक्‍टर जनित बीमारियों (वीबीडी) मुख्‍य रूप से डेंगु और चिकनगुनिया के कई मामले देखे गए थे। इसी को देखते हुए राज्‍य सरकार ने बुखार निगरानी, वेक्‍टर निगरानी और व्‍यापक वेक्‍टर नियंत्रण कार्रवाई करने की योजना बनाई थी।

Ø  इस अवधि के दौरान अहमदाबाद नगर निगम की सीमा में एकत्रित किये गये खून के नमूनों में से एक नमूने में प्रयोगशाला जांच में जीका वायरस की पुष्टि हुई थी।

Ø   इस नमूने का राष्‍ट्रीय विषाणु विज्ञान पुणे में दोबारा जांच की गई। 03 जनवरी, 2017 को इस संस्‍थान में भी  इस नमूने में आरटी-पीसीआर वायरस की पुष्टि हुई।

Ø  खून का यह नमूना 34 वर्षीय एक महिला का था, जिसे स्‍वस्‍थ शिशु को जन्‍म देने के बाद बुखार की शिकायत होने पर अस्‍पताल में भर्ती करवाया गया था। उसने जीका वायरस से प्रभावित किसी भी देश की यात्रा नहीं की थी।

Ø  इस पहले मामले के उजागर होने के बाद से राज्‍य में निगरानी प्रक्रिया और सुदृढ़ की गई तथा हजारों खून के नमूनों की जांच की गई, जिनमें से 80 प्रतिशत मामलों में विषाणु के वेक्‍टर तो नजर आए, लेकिन बीमारी के कोई लक्षण नहीं थे।

Ø   राज्‍य सरकार और अहमदाबाद में आईसीएमआर ने तेज बुखार (एएफआई) निगरानी तथा प्रसव पूर्व मामलों की जांच की थी। जनवरी और फरवरी, 2017 के दौरान एकत्रित नमूनों में से दो और मामलों में जीका वायरस की बीमारी की पुष्टि हुई थी। इन दो मामलों में से एक 22 वर्षीय गर्भवती महिला थी और दूसरा 64 वर्षीय पुरूष था, जिसे 8 दिन से बुखार की शिकायत थी।

Ø  जीका वायरस की बीमारी की जांच और पुष्टि की प्रक्रिया के बाद विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (डब्‍ल्‍यूएचओ) ने 15 मई, 2017 को सभी तीन जीका वायरस को अधिसूचित किया था।

   देश भर में प्रयोगशाला आधारित जीका वायरस की मौजूदगी के लिए अब तक 36613 मानव और 16571 मच्‍छरों के खून के नमूनों का परीक्षण किया गया। अहमदाबाद के तीन मामलों के अलावा अब तक किसी भी खून के नमूने में जीका वायरस की पुष्टि नहीं हुई है।

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