1.यूरोपियन मंदी की मार राजस्थान तक, करोड़ों का नुकसान:
- यूरोपियन देशों की आर्थिक मंदी का असर प्रदेश के पर्यटन पर भी पड़ा है।
- आंकड़ों के अनुसार 20 वर्षों में विदेशी सैलानियों की तादात में सबसे बड़ी गिरावट वर्ष 2009 में 27 प्रतिशत दर्ज की थी। इसके बाद इन वर्षों में दूसरी गिरावट दिसम्बर 2015 तक दर्ज की गई, जब 3.29 प्रतिशत विदेशियों की आवक 2013-14 की तुलना में कम हुई।
- फिक्की- एमआरएसएस की ओर से जारी नॉलेज पेपर 'इंडियन इनबाउंड - टैपिंग द पावर पैक्ड ग्रोथ इंजन' में 'पर्यटन बोर्ड' बनाने की सिफारिश की गई है। रिपोर्ट के तहत यह बोर्ड देश में टूरिज्म रेगुलेटरी अथॉरिटी के रूप में कार्य करेगा। रिपोर्ट में इनबाउंड पर्यटन के विकास के लिए एक 13 सूत्री रोडमैप का भी सुझाव दिया है।
- ढूंढाड़ और ब्रज-मेवात सर्किट है विकल्प:
- ढूंढाड़ सर्किट में जयपुर-सामोद-रामगढ़-दौसा-आभानेरी शामिल हैं। भांडारेज बावड़ी को भी सैलानियों के लिए विशेष प्वॉइंट के रूप में शामिल किया है।
- ब्रज-मेवात सर्किट में अलवर-सरिस्का-डीग-भरतपुर-करौली-रणथम्भौर के जरिए गोल्डन ट्रैंगल से आने वाले पावणों को डीग से जोडऩे का उद्देश्य है।
- बागड़ सर्किट में आदिवासी बाहुल्य डूंगरपुर-बांसवाड़ा क्षेत्र में आयोजित बेणेश्वर मेला के अलावा जूना पैलेस, शिव मंदिर, राजराजेश्वर मंदिर को शामिल किया है।