20 April Rajasthan

  1. प्रदेश में एक साल में काले हिरण भालू घटे 
  • वन विभाग की ओर 2015 में कराई गई वन्यजीवों की गणना की हाल ही जारी की गई रिपोर्ट| गणना मई और जून 2015 में की गई थी
  • एक साल के भीतर राज्य में काला हिरण,भालू सहित वन्यजीवों की दस प्रजातियों की संख्या घट गई है।
  • बघेरा, चीतल, चिंकारा, नीलगाय नौ प्रजातियों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
  • रिपोर्ट में मुकंदरा हिल, रणथंभौर और सरिस्का टाइगर रिजर्व के वन्यजीवों को शामिल नहीं किया है।
  •  एक साल में बघेरों की संख्या में 14 का इजाफा हुआ है।
  • चौसिंघा, चीतल, चिंकारा, जंगली बिल्ली, जंगली सुअर, नीलगाय, सांभर और सेही की संख्या में इजाफा हुआ है।
  • भालू, भेड़िया, बिज्जू, हायना, काला हिरण, लंगूर, लोमड़ी, नेवला, सियार और सियागोश की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है। 

वन विभाग की ओर से टाइगर रिजर्व को छोड़कर रिजर्व फारेस्ट और सेंचुरी के क्षेत्र में वाटर होल मेथड से वन्यजीवों की गणना की जाती है। गर्मी में वन्यजीव जब पानी पीने के लिए आते हैं, उस समय यह गणना की जाती है।

2, सरकारी बिजली कंपनियों के हर सबडिवीजन की अब एनर्जी ऑडिट

  • प्रदेशकी तीनों सरकारी बिजली कंपनियों के हर सबडिवीजन की एनर्जी ऑडिट की जाएगी।
  • एनर्जी ऑडिट में बिजली की छीजत रेवेन्यू वसूली की पूरी गणना होगी।
  • प्रदेश की जयपुर, जोधपुर अजमेर बिजली वितरण कंपनियों का वित्तीय घाटा 90 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा हो गया। वहीं बिजली छीजत रेवन्यू वसूली नहीं होने के कारण घाटा बढ़ता ही जा रहा है।
  • पिछलेसाल एक प्राइवेट कंपनी को एनर्जी ऑडिट का काम दिया था।

3.डॉ.पवन सिंघल को मिला 'वॉयस ऑफ टोबेको विक्टिम्स' अवार्ड

तंबाकू  नियंत्रण कैंसर पीड़ित परिवारों के लिए उल्लेखनीय कार्य करने पर एसएमएस अस्पताल के कान, नाक गला विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.पवन सिंघल को वॉयस ऑफ टोबेको विक्टिम्स (वीओटीवी) अवार्ड दिया गया है।

4.थैराकेम रिसर्च मेडीलेब का सीतापुरा में 20 करोड़ की लागत से नया प्लांट 

  • सीतापुरा औद्योगिक क्षेत्र में इसके लिए थैराकेम रिसर्च मेडीलेब (इंडिया) प्रालि की नई उत्पादन इकाई स्थापित की गई 
  • पहली बार फार्मा रिसर्च और दवाओं का उत्पादन एक ही छत के नीचे 
  • बड़े पैमाने पर दवाओं के उत्पादन के लिए फार्मूले को राज्य से बाहर नासिक अंकलेश्वर के प्लांट में भेजा जाता था। लेकिन अब इस नई मैन्युफैक्चरिंग विंग के साथ अब यह उत्पादन राजस्थान में ही किया जा सकेगा जिससे लगभग 100 से अधिक केमिस्ट एक्सपर्ट्स के लिए राज्य में रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे साथ ही इकोनॉमी को भी सपोर्ट मिलेगा।

 

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