1. अब शहरों में जल स्वावलंबन:
Ø मुख्यमंत्रीजल स्वावलंबन अभियान अब गांवों के साथ शहरों में भी चलाया जाएगा।
Ø क्या होगा इसके तहत : इसके तहत शहरों की आवासीय कालोनियों और सुविधा क्षेत्रों में रेनवाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर बनाए जाएंगे।
2. कृषि अनुसंधान केन्द्र बोरवट (बांसवाड़ा) की ओर से दलहन के 1000 क्विंटल बीज 100 हैक्टेयर जमीन पर बांसवाड़ा में तैयार करवाए जाएंगे। यह पूरा कार्य कृषि अनुसंधान केन्द्र, बोरवट और महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों की देखरेख में होगा। वर्ष 2016-17 दलहन वर्ष घोषित किया गया है।
3. गंग नहर:
Ø महाराजा गंगासिंह क़े प्रयासों से
नहर का इतिहास
Ø बीकानेर राज्य की जनता के लिए पंजाब से नहर के पानी को बीकानेर भू-भाग पर लाने के प्रयास सन 1884 में महाराजा डूंगरसिंह के समय प्रारम्भ हुए। लेकिन पॉलिटिकल एजेन्ट के माध्यम से अबोहर कैनाल का पानी बीकानेर राज्य में लाने का प्रयास सफल नहीं हुआ
Ø पंजाब सरकार ने अपना पानी सिर्फ ब्रिटिश सरकार के क्षेत्र तक देने की सहमति दी। वर्ष 1899-1900 ई. में भीषणतम अकाल पड़ा।
Ø महाराजा गंगासिंह ने 1903 ई. में ए.डब्लू.ई. स्टेण्ड ले को सिंचाई विभाग का मुख्य अभियन्ता व सचिव नियुक्त किया।
Ø सन् 1852 ई. में लेफ्टिनेट एण्डरसन ने सतलज के पानी को बीकानेर राज्य तक लाने के लिए प्रस्ताव तैयार किए। प्रारम्भ में बीकानेर को सतलज से मात्र 242 क्यूसेस पानी ही प्राप्त हुआ।
Ø 1914 में 1370 क्यूसेस निर्धारित किया गया, लेकिन सर जॉन बेनटन ने 1914 में ही बीकानेर व अंग्रेजी क्षेत्र के पानी को बहावलपुर स्टेट को दे दिया।
Ø 1920 में गंगनहर के निर्माण का सपना यथार्थ में परिवर्तित हुआ।
Ø 1920 में ही पंजाब सरकार, बहावलपुर राज्य तथा बीकानेर रियासत के बीच समझौते पर हस्ताक्षर हुए।
Ø गंग केनाल 84 मिल तक कंक्रीट से बनी विश्व की सबसे लम्बी केनाल है। इसके निर्माण में 8 करोड़ रुपए खर्च हुए।