Debate Summary By GShindi.com
भारत में वायु प्रदूषण का स्तर इस हद तक खतरनाक हो चुका है कि ये हर एक मिनट में 2 लोगों की जान ले रहा है। 'द लांसेट काउंटडाउन' 'द लांसेट काउंटडाउन' नामक एक नई रिपोर्ट के मुताबिक देश की राजधानी दिल्ली और बिहार की राजधानी पटना दुनिया के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में शामिल है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर वर्ष 10 लाख से ज्यादा लोग वायु प्रदूषण की वजह से बेमौत मारे जा रहे हैं। यानी भारत में हर रोज़ करीब 2 हज़ार 880 लोगों की मौत वायु प्रदूषण से हो रही है।
'द लांसेट काउंटडाउन' के मुताबिक पूरी दुनिया में हर रोज़ 18 हज़ार लोगों की मौत वायु प्रदूषण की वजह से होती है। इसमें बाहर के प्रदूषण के साथ साथ घरों के अंदर का वायु प्रदूषण भी शामिल है.
इस रिपोर्ट को 16 अलग अलग संस्थानों के 48 वैज्ञानिकों ने तैयार किया है। इन वैज्ञानिकों के मुताबिक (जिन शहरों में प्रदूषण का स्तर WHO द्वारा तय किए गए मानकों के मुताबिक है वहां भी लोगों के मरने का खतरा काफी ज्यादा है) दिल्ली और पटना में वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार Pm 2.5 कणों का औसत वार्षिक स्तर 120 MicroGram Per Cubic Meter है। ये WHO द्वारा निर्धारित मानकों से 12 गुना ज्यादा है।
WHO के मुताबिक प्रदूषण का औसत वार्षिक स्तर 10 MicroGram Per Cubic Meter से ज्यादा नहीं होना चाहिए। चीन से तुलना की जाए तो भारत में प्रदूषण ज़्यादा तेज़ी से बढ़ रहा है। पिछले हफ्ते वायु प्रदूषण से जुड़ी एक और इंटरनेशनल रिपोर्ट आई थी। 'स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2017' नामक रिपोर्ट में कहा गया था कि वर्ष 2015 में ओजोन परत को हो रहे नुकसान की वजह से भारत में 2 लाख 54 हज़ार लोगों की मौत हुई थी।
ओजोन पर्यावरण की वो परत है जो सूरज से आने वाले हानिकारक अल्ट्रावॉयलेट रेडिेएशन को रोकती है। ओजोन की परत को जब नुकसान होता है तो लोगों को फेफड़ों से जुड़ी बीमारियां होने लगती हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2015 में भारत में ढ़ाई लाख लोग फेफड़ों की बीमारियों की वजह से ही मारे गए थे।
साल दर साल बीत जाने के बाद भी भारत में वायु प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है। चाहे केंद्र सरकार हो या फिर राज्य सरकारें, कोई भी प्रदूषण से लड़ने के लिए गंभीर नहीं दिखता। केंद्र सरकार ने लोकसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए ये माना था कि भारत, वायु प्रदूषण की मॉनिटरिंग पर हर साल सिर्फ 7 करोड़ रुपये खर्च करता है। ये रकम 132 करोड़ की आबादी वाले इस विशाल देश के लिए बहुत कम है।
भारत में वायु प्रदूषण से जुड़ा सबसे खतरनाक पहलू ये है कि भारत प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में दुनिया के दूसरे देशों से पिछड़ रहा है। इसे आप भारत और चीन के बीच के तुलनात्मक उदाहरण से समझिए। भारत में ओजोन परत को हुए नुकसान से होने वाली मौतें वर्ष 1990 के बाद से 53 प्रतिशत बढ़ी हैं और वर्ष 2005 के बाद से इसमें 24 प्रतिशत का इज़ाफा हुआ है।
जबकि चीन में वर्ष 1990 के बाद से ओज़ोन को हुए नुकसान से होने वाली मौतें 16 प्रतिशत बढ़ी हैं और वर्ष 2005 से इसमें गिरावट आने लगी हैं इसी तरह चीन में वर्ष 1990 से लेकर अब तक PM 2.5 कणों से होने वाली मौतें 17 प्रतिशत बढ़ी हैं.. जबकि भारत में PM 2.5 कणों से होने वाली मौतों का आंकड़ा 47 प्रतिशत बढ़ा है।