कॉल ड्रॉप पर ग्राहकों को हर्जाना नहीं

कॉल ड्रॉप केस में सुप्रीम कोर्ट ने मोबाइल कंपनियों को राहत देते हुए कहा कि अब मोबाइल कंपनियों को इसके लिए हर्जाना नहीं देना पड़ेगा। 

सुप्रीम कोर्ट का तर्क

  • कोर्ट ने कहा कि ट्राई की ओर से मोबाइल कंपनियों पर ऐसे फैसले लादने का कोई तुक नहीं बनता।
  • सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि कॉल ड्रॉप के लिए सिर्फ टेलिकॉम कंपनियां ही दोषी नहीं होती हैं।
  • कई बार खराब गुणवत्ता के मोबाइल फोन की वजह से भी कॉल ड्रॉप की समस्या आती है।

Background

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने  जनवरी से प्रत्येक ड्रॉप कॉल के लिए दूरसंचार कंपनी को 1 रुपये का हर्जाना देने के लिए कहा था  और इसके लिए प्रतिदिन अधिकतम 3 रुपये की सीमा तय की गई है। 

ट्राई को महसूस हुआ कि कॉल ड्रॉप की समस्या को दूर करने में कंपनियों ने पर्याप्त कदम नहीं उठाए और  हर्जाने से वे इस दिशा में सक्रियता से कार्रवाई करेंगी। 

इसके खिलाफ सेलुलर ऑपरेटर्स की ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी | दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्राई के फैसले को सही ठहराते हुए सेलुलर ऑपरेटर्स की याचिका खारिज कर दी थी।

दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला

हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया था कि मोबाइल कंपनियों को 1 जनवरी 2016 से हर्जाना चुकाना होगा। दूरसंचार कंपनियों के संगठन सीओएआई और भारती एयरटेल, वोडाफोन समेत 21 दूरसंचार कंपनियों ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इन कंपनियों ने ट्राई के फैसले को गैरकानूनी बताते हुए कहा था कि कई कारणों से कॉल ड्राप को रोकना संभव नहीं है।

क्यों होती है  कॉल ड्रॉप

  • हर शहर में सैकड़ों टॉवरों का जाल बिछा होता है. लेकिन एक टावरसे दूसरे टावरको आपका कॉल हैंडओवर अगर ठीक तरीके से नहीं होगा तो कॉल ड्रॉप हो सकता ह.
  • जब मोबाइल फ़ोन ट्रैफिक किसी एक या दो टावरपर बहुत ज़्यादा होता है तब भी कॉल ड्रॉप होना आम बात है.
  • भारत में 4,25,000 बेस ट्रांसमिटिंग स्टेशन (बीटीएस) हैं जिन्हें लोकप्रिय भाषा में मोबाइल फोन टावर कहते हैं. माना जाता है कि मोबाइल फोन धारकों की बढ़ती संख्या के लिए इनकी संख्या अपर्याप्त है. 
  • टेलीकॉम सर्विस के लिए स्पेक्ट्रम हाईवे की तरह है| अगर नेशनल हाईवे आगे जाकर थोड़ा तंग स्टेट हाईवे की तरह हो जाता है तो आपको गाड़ी की रफ़्तार धीमी करनी पड़ेगी. मोबाइल सब्सक्राइबर की हालत, खासकर बड़े शहरों में, कुछ ऐसी ही है| जब इस हाईवे पर ट्रैफिक बढ़ जाता है, या जब ऑफिस के समय ज़्यादा लोग अपने मोबाइल इस्तेमाल करने लगते हैं, तो सभी की रफ़्तार धीमी हो जाती है या मोबाइल के मामले में फ़ोन कनेक्ट करना भी कभी कभी मुश्किल हो जाता है.

समाधान

  •  टावरों को बढ़ाया जाए
  • नियमन और जवाबदेही: ट्राइ को  उन कंपनियों के मामले में सक्चत होना होगा जो कुछ सर्किलों में भारी कॉल ड्रॉप की दर के साथ बच निकलती हैं क्योंकि राष्ट्रीय औसत इससे भी नीचे होता है. इसका एक तरीका यह है कि सर्किलों के भीतर कॉल की गुणवत्ता की जवाबदेही सेवा प्रदाताओं पर तय कर दी जाए. ट्राइ को दूरसंचार उद्योग पर नजर रखने के लिए बनाया गया था लेकिन इसके आलोचकों का कहना है कि इस संस्था ने अपनी धार खो दी है. खराब सेवा गुणवत्ता के लिए दंड और जुर्माने से संबंधित नियमों के मसौदे अब भी अधिसूचना की प्रतीक्षा कर रहे हैं. 

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