सूखे की स्थिति से निपटने के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के जरिए गरीब वर्ग को अनाज देना एक बड़ा कदम हो सकता है, लेकिन सभी राज्यों ने इस कानून को लागू नहीं किया है।
- कानून लागू हुए ढाई साल से अधिक बीत चुका है, लेकिन केवल 25 राज्यों ने ही इसे अपनाया है। कई राज्यों ने आधे-अधूरे ढंग से ही इसे लागू किया है।
- केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा है कि खाद्य सुरक्षा कानून में अंत्योदय अन्न योजना से सूखे से प्रभावित लोगों को मदद पहुंचाई जा सकती है, लेकिन जरूरतमंदों की पहचान का काम सुस्त रफ्तार से चल रहा है।
=>"उद्देश्य"
*** राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम का उद्देश्य लोगों को सस्ती दर पर पर्याप्त मात्रा में उत्तम खाद्यान्न उपलब्ध कराना है ताकि उन्हें खाद्य एवं पोषण सुरक्षा मिले और वे सम्मान के साथ जीवन जी सकें।
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम पांच जुलाई, 2013 को लागू कर दिया गया था। हर राज्य को इसे लागू करना था।
- खाद्य सुरक्षा अधिनियम की धारा 10(1) के अनुसार राज्य सरकारों को एक साल के अंदर गरीबों की पहचान कर उन्हें राशन कार्ड प्रदान करने थे ताकि उन्हें अंत्योदय अन्न योजना के तहत अनाज मुहैया कराया जा सके। यह काम चार जुलाई 2014 तक पूरा करना था।
- जरूरतमंद लोगों की डिजिटल सूची भी जारी करनी थी। राज्य सरकारों का दायित्व है कि राशन की दुकानों पर अनाज उपलब्ध कराए और शिकायत निवारण के लिए समुचित प्रबंध करे।
- केन्द्र ने गुजरात का खासतौर से नाम लिया है, जहां इसे अभी तक लागू नहीं किया गया है। केन्द्र ने कहा है कि राज्य सरकारों को उनकी मांग पर उचित मदद मुहैया करा दी गई है।
उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार ने स्वराज अभियान की याचिका के जवाब में यह हलफनामा दायर किया है। स्वराज अभियान ने सूखाग्रस्त राज्यों को राहत देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
- केन्द्र ने कहा है कि मनरेगा के तहत 50 दिन का अतिरिक्त काम श्रमिकों को दिया गया है। अभी तक ग्रामीण क्षेत्रों में 100 दिन का काम दिया जाता था। लेकिन 2015-16 के वित्तीय वर्ष में अधिसूचित सूखाग्रस्त ब्लॉकों में 50 दिन का अतिरिक्त काम सौंपा गया है।
मनरेगा के तहत वाटर हाव्रेस्टिंग ढांचे भी तैयार किए जा रहे हैं।
=>राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के मुख्य प्रावधान :-
१. इस कानून के तहत लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में 75 प्रतिशत तक तथा शहरी क्षेत्रों की 50 प्रतिशत तक की आबादी को रियायती दरों पर खाद्यान्न उपलब्ध कराने का प्रावधान है।
२. इस प्रकार देश की लगभग दो-तिहाई जनसंख्या को इसका लाभ मिलने का अनुमान है।
पात्र परिवारों को प्रतिमाह पांच कि. ग्रा. चावल, गेहूं व मोटा अनाज क्रमशः 3, 2 व 1 रुपये प्रति कि. ग्रा. की रियायती दर पर मिल सकेगा।
३. अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) मे शामिल परिवारों को प्रति परिवार 35 कि. ग्रा. अनाज का मिलना पूर्ववत जारी रहेगा।
४. इसके लागू होने के 365 दिन के अवधि के लिए, लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएम) के अंतर्गत सब्सिडीयुक्त खाद्यान्न प्राप्त करने हेतु, पात्र परिवारों का चयन किया जाएगा।
५. गर्भवती तथा स्तनपान कराने वाली महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान तथा प्रसव के छ: माह के उपरांत भोजन के अलावा कम से कम 6000 रुपये का मातृत्व लाभ भी मिलेगा।
६. 14 वर्ष तक की आयु के बच्चे पौष्टिक आहार अथवा निर्धारित पौष्टिक मानदण्डानुसार घर राशन ले जा सकें।
७. खाद्यान्न अथवा भोजन की आपूर्ति न हो पाने की स्थिति में, लाभार्थी को खाद्य सुरक्षा भत्ता दिया जाएगा।
८. इस अधिनियम के जिला एवं राज्यस्तर पर शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करने का भी प्रावधान है।
९. पारदर्शिता एवं उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने के लिए भी आवश्यक प्रावधान किए गए हैं।