समझौते का उद्देश्य
- गंगा नदी के संरक्षण के लिए उत्तरदायी राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय हितधारकों को एकीकृत नदी बेसिन प्रबंधन दृष्टिकोण के लिए सक्षम बनाना है।
- यह भारत और जर्मनी के बीच जानकारी के आदान-प्रदान और सामरिक नदी बेसिन प्रबंधन मामलों के व्यावहारिक अनुभव, प्रभावी डाटा प्रबंधन प्रणाली तथा जन भागीदारी पर आधारित होगा।
- स परियोजना का मुख्य उद्देश्य राइन और दान्यूब नदी के लिए इस्तेमाल की गई सफल नदी बेसिन प्रबंधन नीति को अपनाना है।
- इसके अतिरिक्त जहां तक संभव हो सके गंगा नदी का प्राचीन वैभव लौटाने के लिए इस नीति को यहां दोहराना है।
Other Details
- परियोजना की अवधि तीन साल यानि 2016 से 2018
- शुरूआत में उत्तराखंड पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा और गंगा से जुड़े दूसरे राज्यों तक इसका दायरा बढ़ाया जाएगा।
क्या है नमामि गंगे
- ‘नमामि गंगे’ भारत सरकार का एक फ्लैगशिप कार्यक्रम है।
- इसका उद्देश्य नए वेग से गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त करना और पावन गंगा का संरक्षण करना है।
- अगले पांच साल में 20 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। गंगा को स्वच्छ करने के लिए पिछले 30 साल में सरकार की ओर से खर्च की गई राशि से यह रकम चार गुना है।
- कार्यक्रम में अहम बदलाव करते हुए गंगा नदी के किनारे बसे लोगों को स्वच्छ गंगा मिशन में शामिल करने पर ध्यान केन्द्रित किया है ताकि इसके बेहतर और टिकाऊ नतीजे हासिल हो सकें।
- पिछले अनुभवों से सीखते हुए गंगा स्वच्छता मिशन में राज्यों और जमीनी स्तर के संस्थान जैसे शहरी स्थानीय निकाय और पंचायती राज संस्थानों को शामिल करने पर सरकार का पूरा ध्यान है।
- यह कार्यक्रम स्वच्छ गंगा राष्ट्रीय मिशन (नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा – एनएमसीजी) की ओर से लागू किया जाएगा।
- राज्यों में इसके समकक्ष संगठन, जैसे स्टेट प्रोग्राम मैनेजमेंट ग्रुप्स (एसपीएमजीएस) इस कार्यक्रम को लागू करेंगे।
- गंगा की सफाई के लिए इस मिशन को बेहतर तरीके से लागू करने के लिए इसकी निगरानी की जाएगी
- नमामि गंगे के तहत नदी के प्रदूषण को कम करने पर पूरा जोर होगा। इसमें प्रदूषण को रोकने और नालियों से बहने वाले कचरे के शोधन और उसे नदी से दूसरी ओर मोड़ने जैसे कदम उठाए जाएंगे। कचरा और सीवेज परिशोधन के लिए नई तकनीक की व्यवस्था की जाएगी।
Source: Deccanchronicle, pib, pmo