Analysis of उड़ान Scheme

What is this scheme:

उड़ान  मतलब उड़े देश का आम नागरिक

  • Scheme का इरादा उन छोटे शहरों और कस्बों को किफायती दर पर हवाई यातायात की सुविधा मुहैया कराना है जो अब तक विमानन सेवाओं से पूरी तरह नहीं जुड़ सके हैं।
  • यह एक ऐसा बाजार तैयार कर सकेगी जहां नए यात्री विमान लीज के माध्यम से इन नए ठिकानों तक हवाई सुविधा मुहैया कराई जाएगी।
  • योजना का सबसे अहम तत्त्व यह है कि किसी नए हवाई मार्ग के लिए सफल बोली लगाने वाले को सरकार प्रति सीट 2,350 रुपये से 5,100 रुपये तक की सब्सिडी मुहैया कराएगी। इसके अलावा 500 किलोमीटर से कम दूरी की उड़ान के लिए किराया 2,500 रुपये तक सीमित रहेगा।
  • कई अन्य सब्सिडी प्रदान करने की योजना भी  जैसे विमानन ईंधन शुल्क में रियायत, लैंडिंग शुल्क में रियायत आदि | सरकार नई क्षेत्रीय विमानन कंपनियों को व्यवहार्य बनाने के लिए स्टार्टअप पूंजी पर भी सब्सिडी की व्यवस्था लागू कर सकती है। 

Effect of these scheme:

  • सवाल यह है कि क्या भारत सरकार को हवाई यात्राओं पर आगे और सब्सिडी देनी चाहिए? वह पहले ही एयर इंडिया जैसी विमानन कंपनी का संचालन कर रही है जो बीते कई सालों के दौरान करदाताओं का काफी पैसा डुबा चुकी है।
  • सरकार अपने बचाव में यही कहेगी कि यह तमाम सब्सिडी करदाताओं के पैसे से नहीं आएगी बल्कि इसका कुछ हिस्सा उस नकदी संग्रह से आएगा जो मौजूदा विमानन कंपनियों से धन लेकर बनाया जाएगा। यह धन एक अनिवार्य शुल्क के जरिये वसूल किया जाएगा। स्वाभाविक सी बात है कि ऐसी जबरन क्रॉस सब्सिडी के कई परिणाम सामने आ सकते हैं। या तो विमान सेवा के मुनाफे में आगे और कमी आएगी और उसके सामने यह जोखिम पैदा हो जाएगा कि वह पहले से ही अस्थिर इस कारोबारी क्षेत्र से बाहर ही हो जाए, या फिर वह पहले से परिचालित मार्गों पर यात्री किराया बढ़ाने पर मजबूर होगी।
  • इस पूरी योजना में लाइसेंस राज की झलक काफी हद तक मिलती है। 
  • इसमें नौकरशाही के नियंत्रण, तमाम प्रतिबंधों, कृत्रिम एकाधिकार और क्रॉस सब्सिडी (जिसकी वजह से अक्षमता आ सकती है), उपभोक्ताओं के समक्ष सीमित विकल्प, बढ़े हुए किराये और विधिक चुनौतियों का भय हमेशा कायम रहेगा।

Some question which needs to be answered:

  • क्या ऐसी योजना वास्तविक उद्यमियों को अपनी ओर आकर्षित करने में कामयाब हो भी पाएगी या नहीं?
  • कहीं ऐसा न हो कि इसमें रातोरात उडऩ छू होने वाले कारोबारी आ जाएं। ऐसे क्षेत्र में कौन दांव लगाना चाहेगा जिसके बारे में पता हो कि उसकी सब्सिडी एक अदालती आदेश से किसी भी समय खत्म की जा सकती है?
  • इसके अलावा क्या सरकार ने मौजूदा बड़े हवाई अड्डों पर इस योजना के प्रभाव के बारे में ठीक से सोचा है?
  • क्या उनको इन उड़ानों को सस्ते लैंडिंग अधिकार देने पर मजबूर किया जाएगा?
  • अगर हां तो क्या इसे भी कानूनी चुनौती नहीं मिलेगी?

चाहे जो भी हो लेकिन तमाम नई उड़ानों के आने के बाद हवाई यातायात में और कठिनाई होगी और लगने वाले समय में इजाफा यात्रियों के लिए इसकी उपयोगिता को प्रभावित करेगा। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो उड़ान योजना का लक्ष्य जहां सराहनीय है, वहीं इसकी पूरी अवधारणा में खामियां हैं। हवाई संपर्क बढ़ाने का केवल एक ही तरीका है-अधिकाधिक हवाई अड्डों का निर्माण और हवाई यात्रा क्षेत्र में मुक्त प्रतिस्पर्धा को मंजूरी। 

 

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