केंद्र सरकार ने 2030 तक देश को मलेरिया से मुक्त कराने का लक्ष्य तय किया है। श्रीलंका और नेपाल जैसे कुछ पड़ोसी देशों में पिछले कुछ सालों में इस प्लास्मोडियम जनित रोग से कोई मौत न होने की खबरें सामने आने के बाद सरकार ने यह लक्ष्य तय किया।
- सरकार विकास साझेदारों और सिविल सोसाइटी के साथ मिलकर प्रभावी तौर पर काम करेगी।
- स्वास्थ्य मंत्रालय ने राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन रूपरेखा (2016-2030) पेश कीI
- ज्ञातव्य है कि दक्षिण एशिया में मलेरिया के 70 फीसद मामले और मलेरिया से होने वाली 69 फीसद मौतें भारत में होती हैं।
=>"रूपरेखा का उद्देश्य"
- रूपरेखा का उद्देश्य 2024 तक सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में मलेरिया की घटनाओं में इतनी कमी लाना है कि हर साल प्रति 1,000 की आबादी पर मलेरिया का एक से भी कम मामला सामने आए।
** सभी राज्य सरकार अपने नीतिगत मामलों में मलेरिया उन्मूलन को शामिल करें।
- देश की 80 फीसद से ज्यादा आबादी आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर क्षेत्र सहित अन्य राज्यों के करीब 200 जिलों के ऐसे इलाकों में रहती है, जहां मलेरिया की चपेट में आने का जोखिम बहुत ज्यादा रहता है ।
- अभी मलेरिया के 80 फीसद मामले ऐसे 20 फीसद लोगों के बीच हैं, जो ‘‘उच्च जोखिम’ की श्रेणी में आते हैं। हालांकि, देश की करीब 82 फीसद आबादी ऐसे इलाकों में रहती है, जहां मलेरिया की चपेट में आने का जोखिम बहुत ज्यादा होता है।
** मलेरिया उन्मूलन की रूपरेखा के तहत इस रोग से जुड़े मामलों के सामने आने के आधार पर देश को तीन श्रेणियों में बांटा गया है।
Note:- श्रीलंका में पिछले एक दशक में मलेरिया का एक भी मामला सामने नहीं आया, जबकि नेपाल में 2012 के बाद इस प्लास्मोडियम जनित रोग से एक भी मौत नहीं हुई है।