दक्षिण एशिया उपग्रह ‘जीसैट-9’ के सफल लॉन्च के साथ भारत ने अंतरिक्ष कूटनीति की दिशा में कदम बढ़ा दिया है| इसे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से छोड़ा गया. इसके लॉन्च में 49 मीटर लंबे और 450 टन वजनी जीएसएलवी रॉकेट का इस्तेमाल किया गया. इस उपग्रह को बनाने से लेकर लॉन्च तक कुल 450 करोड़ रुपये का खर्च आया है, जिसे भारत ने उठाया है.
Who will share the data from this satellite
भारत द्वारा अपने पड़ोसी देशों को दिए गए इस तोहफे से संचार सुविधाएं मजबूत होंगी. इसके अलावा आपदा राहत के कार्यों में इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा. इसके आंकड़े नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, मालदीव, श्रीलंका और अफगानिस्तान के साथ साझा किए जाएंगे. पाकिस्तान ने इस सैटेलाइट से कोई भी मदद लेने से इनकार कर दिया था. उसका तर्क है कि इन कामों के लिए उसका अपना अंतरिक्ष कार्यक्रम है.
Background:
दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के आठ सदस्य देशों में भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका के पास अपने उपग्रह हैं, जबकि अन्य के पास अपना अंतरिक्ष कार्यक्रम नहीं है. भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम जहां स्वतंत्र और आत्मनिर्भर है, वहीं पाकिस्तान और श्रीलंका ने चीन की मदद के अपने-अपने उपग्रह प्रक्षेपित किए हैं. अफगानिस्तान के पास यूरोपीय स्पेस एजेंसी से खरीदा गया एक संचार उपग्रह है. नेपाल और बांग्लादेश के पास अपना कोई उपग्रह नहीं है, लेकिन वे इसे हासिल करने की दिशा में तेजी से प्रयास कर रहे हैं.