2020 तक दुनिया में 50 लाख नौकरियाँ आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, ऑटोमेशन और रोबोटिक्स के कारण कम हो जायेगी

वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम (डब्लूईएफ) की रिपोर्ट के मुताबिक बीते कुछ साल के दौरान जिस तरह से आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और रोबोटिक्स का चलन बढ़ा है उसे देखें तो जल्द ही कारोबार के तमाम क्षेत्रों में रोबोट का चलन व्यापक हो जाएगा.

★ आने वाले समय में इंसान की प्रतिस्पर्धा इंसान के साथ-साथ रोबोट से भी होने वाली है. 
★वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम (डब्लूईएफ) के द्वारा जारी की गयी नई रिपोर्ट कुछ ऐसे ही संकेत दे रही है. फ्यूचर ऑफ़ जॉब्स (नौकरियों का भविष्य) शीर्षक के साथ जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले पांच साल में रोबोट दुनिया भर में 50 लाख से ज्यादा नौकरियों पर अपना कब्जा जमा लेंगे. इस दौरान रिटेल स्टोर, फैक्ट्रियों, रेलवे स्टेशनों और होटलों में रोबोट का चलन काफी आम हो जाएगा.

★इस रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2020 तक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, रोबोटिक्स और बायोटेक्नोलोजी चौथी औद्योगिक क्रांति के तहत इंसानों से करीब 50 लाख नौकरियां छीन लेगी.
★ डब्लूईएफ के अनुसार उसने दुनिया की अर्थव्यवस्था में सबसे अच्छे माने जाने वाले 15 देशों की अर्थव्यवस्थाओं के अध्ययन के बाद यह रिपोर्ट तैयार की है. उसने इन देशों की सबसे बेहतर 371 कंपनियों और इनके एक करोड़ से ज्यादा कर्मचारियों (दुनिया के करीब 65 प्रतिशत कर्मचारी) के बीच एक सर्वेक्षण के बाद इस रिपोर्ट को तैयार किया है.

★इस सर्वेक्षण से पता लगता है कि बीते कुछ साल के दौरान जिस तरह से आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और रोबोटिक्स का चलन बढ़ा है वह काफी ज्यादा चिंताजनक है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 तक दुनिया भर में 20 लाख नई नौकरियां पैदा होंगी, लेकिन 70 लाख से ज्यादा लोग अपनी नौकरी स्वचालन (ऑटोमेशन) के कारण खो देंगे.

★रिपोर्ट में स्वचालन से प्रभावित अलग-अलग क्षेत्रों की भी बात कही गयी है. इसके अनुसार ऑफिस, प्रशासनिक कार्यों और स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित नौकरियों पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ेगा. इस क्षेत्र में 40 लाख से ज्यादा नौकरियां स्वचालन नीति से प्रभावित होंगी.

★ मैन्युफैक्चरिंग और प्रोडक्शन के क्षेत्र में करीब 20 लाख जबकि भवन निर्माण और दूसरे क्षेत्रों में करीब पांच लाख नौकरियां प्रभावित होंगी.

★इस रिपोर्ट में पुरुषों और महिलाओं के हिसाब से भी गणना की गयी है. इसके मुताबिक अगर देखा जाए तो 2020 में एक आदमी के नौकरी पाने पर तीन आदमी अपनी नौकरी खो देंगे जबकि महिलाओं के मामले में नौकरी खोने की यह दर काफी बढ़ जाएगी.

★ रिपोर्ट के अनुसार जब एक महिला नौकरी पाएगी तो पांच महिलाओं की नौकरी उनके हाथ से चली जायेगी.

† रिपोर्ट में इसका कारण बताते हुए कहा गया है कि आदमी कंप्यूटर, इंजीनियरिंग, गणित और आर्किटेक्चर से जुड़े क्षेत्रों को ज्यादा तरजीह देते हैं और ये क्षेत्र स्वचालन नीति से सबसे कम प्रभावित होंगे. 
† जबकि औरतें कला, रख-रखाव, स्वास्थ्य और ऑफिस वर्क जैसे क्षेत्रों को ज्यादा तरजीह देती हैं और यही क्षेत्र स्वचालन की सबसे ज्यादा मार झेलेंगे. इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस चौथी औद्योगिक क्रांति में मोबाइल इन्टरनेट और स्मार्ट फोन ऐप भी बड़ी संख्या में नौकरियों पर असर डालेंगे.

=>कंपनियों के द्वारा रोबोट और स्वचालन नीति को तरजीह देने के पीछे कारण :-

- डब्लूईएफ ने कंपनियों के द्वारा रोबोट और स्वचालन नीति को तरजीह देने के पीछे के कई कारण बताये हैं जिनमें सबसे प्रमुख कारण पुराने ढर्रे पर चल रही शिक्षा नीति को बताया गया है. 
★रिपोर्ट में बताया गया है कि 40 प्रतिशत से ज्यादा कंपनी मालिकों का कहना है कि उन्हें बदलती तकनीक के हिसाब से हुनरमंद और काबिल कर्मचारी नहीं मिल रहे हैं.
★ इन लोगों का कहना है कि शिक्षण संस्थानों में नई तकनीक के हिसाब से शिक्षा पद्धति में बदलाव नहीं किये जा रहे हैं जिस वजह से उन्हें कर्मचारियों को तकनीक और काम सिखाने में काफी ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ रहा है. इसलिए अब वे स्वचालन नीति को तरजीह दे रहे हैं.

★डब्लूईएफ ने इस मसले पर सभी देशों की सरकारों और कम्पनियों से गंभीरतापूर्वक विचार करने को कहा है. उसने कंपनियों से अपील की है कि वे शिक्षण संस्थानों और सरकार के साथ मिलकर पुरानी शिक्षा पद्धति को वक्त के साथ बदलने पर जोर दें.

★साथ ही स्कूलों में पढ़ाये जाने वाले पाठ्क्रम को बदलने में भी सहयोग करें.

♂चौंकाने वाली बात यह है कि कोई भी सरकार इस समस्या की ओर ध्यान नहीं दे रही है, इनके मुताबिक चीन की साम्यवादी सरकार तो अपने यहां की कंपनियों को स्वचालित कार्यप्रणाली अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. 
♂यहां तक कि वहां की सरकार की बहुप्रतीक्षित परियोजना “मेड इन चाइना 2025” का सबसे बड़ा लक्ष्य ही ज्यादा से ज्यादा उत्पादन को स्वचालित करना है.

♂ रोबोटों से काम लेना कम जनसंख्या वाले देशों जैसे जापान और फिनलैंड में तो सही है लेकिन, भारत, चीन और अमेरिका जैसे ज्यादा जनसंख्या वाले देशों में यह दोमुंही छुरी की तरह काम करेगा. यह लोगों से रोजगार तो छीनेगा ही साथ में अर्थव्यवस्था पर भी असर डालेगा.

 

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