"अरहर की नई किस्म विकसित, दोगुना होगा उत्पादन"

- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से संबद्ध भारतीय दलहन अनुसंधान केंद्र (आईआईपीआर) कानपुर के विशेषज्ञों ने अरहर की नई किस्म विकसित की है।

- यह अन्य किस्मों की तुलना में दो गुना प्रति हेक्टेयर ज्यादा उत्पादन देगी। मौजूदा समय में उपलब्ध दालों की किस्म 9-10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन देती है। आईआईपीआर द्वारा विकसित इस नई किस्म में प्रति हेक्टेयर 20 क्विंटल तक उत्पादन होगा।

- केंद्र सरकार आईआईपीआर के साथ मिलकर अरहर की नई किस्म आईपीए-203 को मध्यप्रदेश में प्रोत्साहित करेगी। यह किस्म असिंचित क्षेत्रों में भी उगाई जा सकती है।

- फिलहाल इसे तमिलनाडू के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। यह 260 दिन की फसल है। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है यह किस्म प्रदेश में अगले खरीफ सीजन में बाजार में आएगी। इसे प्रयोग के तौर पर कृषि विज्ञान केंद्रों पर लगाया जाएगा। 

- उधर, कृषि विभाग ने अंचल में अरहर का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को धारवाड़ पद्धति अपनाने की सलाह दी है।  धारवाड़ पद्धति के अंतर्गत प्रति एकड़ बीज की दर एक किलोग्राम लगती है। पौध अंतरण अधिक होने से इंटरक्रॉपिंग अपनाने में आसानी रहती है और खरपतवार नियंत्रण करने में सुविधा मिल जाती है। पौधरोपण के 30-35 दिन पर पौधों की शीर्ष तुड़ाई करने से अधिक संख्या में शाखाएं निकलती है और झाड़ीनुमा बनकर अधिक फैलाव हो जाता है। उत्पादन बढ़ जाता है। 

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