Why in news :
हाल में फेसबुक ने फर्जी खबरों के साथ निपटने के तरीकों की घोषणा की। इनमें विवादास्पद करार दी जाने वाली पोस्ट भी शामिल होंगी और उनकी पुष्टि के लिए तीसरे पक्ष को तथ्य जुटाने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। फेसबुक इस दिशा में भी प्रयास कर रहा है कि फर्जी जानकारियां देने वाली वेबसाइट उसके प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर विज्ञापनों के जरिये कमाई न कर सकें
what is concern of fake news :
- दरअसल सोशल साइट पर फैलाए जाने वाले जहर, झूठ और ध्रुवीकरण की कोशिशों से नकारात्मक सोच का प्रचालन बढ़ रहा है और झूठी खबरों के द्वारा क्षेत्र विशेष या किसी समूह में ध्रुवीकरण की कोशिश की जाती है | कई शोध पत्रों में भी इस प्रवृत्ति पर लगाम लगाने की जरूरत पर बल दिया गया है।
- वर्ष 2012 में पेश एक शोध पत्र मीडिया उपभोग की चहारदीवारी का जिक्र किया गया था। अब इस प्रवृत्ति के लिए कई शोधकर्ता 'इको चैंबर' शब्द का इस्तेमाल करते हैं।
- असल में, इस जगह पर लोग आपस में चर्चा करते हैं, समूह बनाते हैं और खबरों तथा सूचनाओं का आदान-प्रदान करते हैं। अगर कोई उदारवादी सोच रखते हैं और अपनी ही तरह सोचने वाले लोगों के साथ ऑनलाइन संवाद करते हैं तो इस बात की संभावना काफी कम है कि वो मध्यमार्गी, वामपंथी या दक्षिणपंथी सोच के विचार सुनने को मिले। संवाद कक्ष के एकसमान स्वभाव के चलते ध्रुवीकरण का जन्म होता है जो तेजी से बढ़ता जाता है।
हाल ही में फर्जी सूचनाओं की घटनाए :
पिछले कुछ वर्षों में फर्जी सूचनाओं और खबरों का प्रसार बढऩे से हालात और बिगड़े हैं।
- अमेरिका में नवंबर में संपन्न राष्ट्रपति चुनाव के दौरान इस तरह की फर्जी खबरें देखने को मिलीं।
- कभी हिलेरी क्लिंटन को चुनाव का प्रबंधन करने वाली कंपनियों को पैसे देने की बात फैलाई गई तो कभी यह कहा गया कि पोप फ्रांसिस ने डॉनल्ड ट्रंप के पक्ष में मतदान की गुजारिश की है।
- बज़फीड के एक अध्ययन में पाया गया कि अमेरिकी चुनाव के ठीक पहले फेसबुक पर पोस्ट की गई फर्जी खबरों ने असली खबरों को पीछे छोड़ दिया था। फर्जी खबरें चलाने वाले एक ब्लॉगर पॉल हॉर्नर का मानना है कि ट्रंप की जीत में उनकी पोस्ट का भी थोड़ा-बहुत योगदान रहा। बहुत कम राजनीतिक अनुभव रखने वाले और दक्षिणपंथी सोच वाले कारोबारी ट्रंप की जीत से बहुतेरे अमेरिकी और वैश्विक नेता आशंकित हैं।
Does really fake news affect real world:
- ट्रंप के चुनाव या ब्रेक्सिट पर कराए गए जनमत संग्रह के पहले सोशल मीडिया पर जिस तरह से झूठ फैलाया गया, वह इस बात का सबूत है कि फर्जी खबरों का असल दुनिया पर असर पड़ता है।
- अब दुनिया भर की सरकारें फर्जी खबरों पर लगाम लगाने की कोशिश कर रही हैं।
- इसी पर बराक ओबामा ने इस बात को लेकर चिंता जताई कि प्रोपगेंडा और गंभीर बहस के बीच अंतर को अगर हम नहीं समझ पाते हैं तो काफी गंभीर समस्या पैदा होगी।
- जर्मनी के सांसदों ने फेसबुक पर 24 घंटे के अंदर फर्जी खबर या नफरत फैलाने वाली टिप्पणियां न हटाने पर 5 लाख यूरो का जुर्माना लगाने के प्रस्ताव पर चर्चा की है।
facebook का यह कदम क्या इंकित करता है :
फेसबुक का इस्तेमाल करने वालों की संख्या तो केवल 1.8 अरब ही है। लेकिन फेसबुक के इस कदम से पता चलता है कि फर्जी खबरों से खतरा होने की बात मान ली गई है और उस दिशा में कुछ शुरुआती कदम भी बढ़ाए जा रहे हैं। फेसबुक ने अपनी पहल में ट्विटर, न्यूयॉर्क टाइम्स और सीएनएन को भी जोड़ा है ताकि सोशल मीडिया पर गलत जानकारियां फैलाने पर रोक लगाने के लिए पहला मसौदा तैयार किया जा सके।
भारत और fake news :
- भारत में फर्जी खबरों के प्रसार और उनके असर के बारे में अब तक कोई कारगर अध्ययन नहीं हुआ है। लेकिन इनका वजूद तो है।
- स्वतंत्रता आंदोलन के समय के नेताओं की अपुष्ट टिप्पणियां सोशल मीडिया पर देखने को मिलती हैं। इसी तरह मौजूदा सियासी और सामाजिक मसलों के अलावा जानी-मानी हस्तियों के बारे में भी गलत सूचनाएं पोस्ट की जाती हैं।
- इंटरनेट खंगालने पर आपको दर्जनों ऐसी वेबसाइट दिख जाएंगी जो बिना किसी तथ्यपरकता के अपने विचारों को पेश करती हैं। उन रिपोर्ट में न तो सही तरह से शोध किया गया होता है और न ही किसी तरह की जांच-परख की जाती है। जबकि किसी भी अच्छे पत्रकारिता संगठन के लिए ये बुनियादी बातें होती हैं।
सचेत रहने की जरुरत और इसके लिए क्या किया जाए :
- किसी भी खबर को व्हाट्सऐप या अन्य प्लेटफॉर्म पर शेयर करने के पहले उसके स्रोत की पड़ताल जरूर कर लेनी चाहिए । पिछले महीने नोटबंदी का ऐलान होते ही सोशल मीडिया पर यह खबर छा गई थी कि 2,000 रुपये के नोट में चिप लगाई गई है जिससे उसकी लोकेशन का पता लगाया जा सकता है। लेकिन सरकार ने इसे तत्काल खारिज कर दिया था।
- दूसरा, किसी भी समाचार, इतिहास से जुड़ी सामग्री और किसी गंभीर मसले से संबंधित सूचना को आगे बढ़ाते समय उसके स्रोत पर एक नजर जरूर डालना चाहिए । अगर उसका स्रोत नहीं मिल रहा है तो उसे आगे प्रेषित नहीं करना चाहिए
- तीसरा, कोशिश करनी चाहिए की कि किसी मुद्दे पर हर तरह के विचारों को जानने-समझने का मौका मिले।