ऑनर किलिंग और राजनीतिक हत्या के मामलों में उत्तर प्रदेश सबसे ऊपर है

 देश में परिवार की इज्जत बचाने के नाम पर हत्या (ऑनर किलिंग) के मामले बढ़ गए हैं. 2014 और 2015 के बीच देश भर में इनकी संख्या में करीब सात गुना बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

  • नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के 2015 के आंकड़ों के अनुसार 2014 में ऑनर किलिंग के 28 मामले सामने आए थे, जो 2015 में बढ़कर 251 हो गए. ऑनर किलिंग के सबसे ज्यादा 168 मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज हुए. इसके बाद गुजरात में 25 और मध्य प्रदेश में 14 मामले सामने आए.
  • ऑनर किलिंग के 192 मामलों को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा-302 के तहत और 59 मामलों को धारा-304 (आपराधिक मानव वध) के तहत दर्ज किया गया. 2014 में ऑनर किलिंग के मामले में मध्य प्रदेश सबसे ऊपर था. इसके बाद पंजाब और महाराष्ट्र थे.
  • दिलचस्प बात यह है कि 2014 में ऑनर किलिंग के मामलों में दक्षिण भारत के ज्यादातर राज्यों के नाम नहीं थे. लेकिन 2015 में ऐसा नहीं हुआ. केरल में ऐसे पांच, आंध्र प्रदेश में दो और तमिलनाडु व तेलंगाना में एक-एक मामले सामने आए हैं. एनसीआरबी ने 2014 से ऑनर किलिंग के मामलों को हत्या के मामलों से अलग करके दर्ज करना शुरू किया है.
  • 2015 में प्रेम प्रसंग और अवैध संबंधों की वजह से क्रमशः 1,379 और 1,568 लोग मारे गए. उत्तर प्रदेश और गुजरात प्रेम संबंधों के चलते हत्या के मामले में सबसे ऊपर रहे. 2015 में इस वजह से उत्तर प्रदेश में 383 और गुजरात में 122 लोग मारे गए. बिहार में प्रेम संबंधों की वजह से 140 लोगों की हत्या हुई. इसमें चौंकाने वाली बात यह है कि यहां पर ऑनर किलिंग का एक भी मामला सामने नहीं आया.
  • एनसीआरबी के मुताबिक 2015 में देश में हत्या की कुल 32,127 घटनाएं हुईं. इनमें 56 लोगों को जातीय और 27 लोगों को सांप्रदायिक आधार पर निशाना बनाया गया. राजनीतिक कारणों से कुल 96 लोगों की हत्या हुई. इसमें भी उत्तर प्रदेश ही सबसे ऊपर रहा. यहां कुल 28 लोग मारे गए. इसके बाद झारखंड में 15, केरल में 12, मध्य प्रदेश में 10 और कर्नाटक में आठ लोग मारे गए. एनसीआरबी के मुताबिक 135 लोगों की हत्या जादू-टोने के मामले में हुई जबकि 24 बच्चों को मानव बलि का शिकार बनाया गया.

Note :- एनसीआरबी के आंकड़ों पर कई बार सवाल उठते रहे हैं. तमाम आकलनों में कहा गया है कि राज्य सरकारें कानून-व्यवस्था में अपने प्रदर्शन को बेहतर दिखाने के लिए मामलों को दर्ज करने से परहेज करती हैं.

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