हिंसा के कारण और उसमें सामाज की भूमिका

लैंगिक समानता की दृष्टि से राजधानी में कितनी जागरूकता:

निर्भया मामले के बाद ऐसा लगा कि देश बदल जाएगा लेकिन जो जहां था वह वहीं है। राजधानी बच्चे व महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं हैं। बस परिचर्चा और चिंता होती है कि इसके लिए भी हम सब जिम्मेदार हैं। क्योंकि जब घटना होती है तब सब जाकरूक हो जाते हैं लेकिन बाद में अमल नहीं होता है। 

सामाजिक मानसिकता इन हिंसाओ के लिए कितनी जिम्मेदार है

वर्षो से महिलाओं को देखने के नजरिये में बदलाव जरूरी है। समाज में महिलाओं को अब भी उपभोग की वस्तु समझा जाता है। प्रतिरोध करने पर तरह तरह की बातें सामने आती हैं। इसलिए इस मानसिकता में बदलाव जरूरी है। इसमें गैर सरकारी संस्था तथा सरकारी संस्था सहित अन्य लोगों को भी सामने आना होगा। काउंसलिंग करनी होगी बढे स्तर  पर | इसके लिए दैनिक व्यवहार में भी बदलाव लाना जरूरी है|

क्या है लैंगिक असमानता की मूल वजह 

आज बच्चों के साथ जो हो रहा है उसमें लोगों की मानसिकता, पलायन और गरीबी एक बड़ा कारण है। क्योंकि मजदूर महिलाओं की मजबूरी है कि वह अपने बच्चों को छोड़कर काम पर जाएं। लड़कियां और असुरक्षित हैं। इसके लिए जागरूकता के अलावा एक मिली जुली मुहिम चलाने की जरूरत है। साथ ही न्यायिक प्रक्रिया पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। तभी महिलाओं को समय से न्याय मिलेगा।

बच्चियों का यदि शोषण हो रहा है या परेशानी है तो उनको आगे आना होगा। लड़कियों को शिकायत करनी होगी और उनको अपनी समस्या बतानी होगी। इसके लिए सबको कार्यशाला करने की आवश्यकता है। कई बार तो छात्रओं को पता ही नहीं होता कि उनको शिकायत कैसे और कहां करनी है ताकि उनकी गोपनीयता भी बरकरार रहे।

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