डार्क स्पॉट्स ख़त्म करना सराहनीय कदम परन्तु और भी बहुत कुछ की जरुरत

why in news

12500 डार्क स्पॉट्स रोशन करने का दक्षिणी नगर निगम का फैसला सराहनीय है। इसके बीच सवाल यह उठता है की हर एजेंसी अपना अलग अलग अभियान क्यों चला रही है एक समायोजित योजना क्यों नहीं बनाती | इसके लिए दिल्ली सरकार की भी अलग से योजना है |

Why lightning of these spots:

 

ये वो इलाके है जो सुरज ढलते ही अंधेरे में डूब जाते हैं और कोई भी रौशनी का प्रबंध नहीं है । ऐसे में महिलाओं का इन रास्तों से गुजरना खतरे से खाली नहीं होता। महिलाओं के साथ बढ़ते अपराध को देखते हुए ऐसा करना बेहद जरूरी है। जिगिषा घोष हत्याकांड को सात साल बीत गए और उसके बाद वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म कांड |यह दिल्ली पुलिस, दिल्ली सरकार और नगर निगमों की जिम्मेदारी है कि वह लोगों को इनसे निजात दिलाए।

 

 

One question which should be asked mere identification and lightning of these dark spots will solve the problem of crime against women in urban area

जब कभी कोई वारदात होती है तो सरकार के सभी विभाग इन डार्क स्पॉट्स को खत्म करने की बात करते है, लेकिन एक बार स्थिति सामान्य होते ही उन्हें इसकी फिक्र नहीं रह जाती है। दिल्ली सरकार या फिर दिल्ली नगर निगम, सभी बार-बार बातें करते रहते हैं, लेकिन योजना को जल्द से जल्द अमलीजामा पहनाने की जल्दबाजी नहीं दिखाते। इससे समय के साथ डार्क स्पॉट्स की संख्या बढ़ती ही जा रही है।सोचने वाली बात यह है कि क्या सिर्फ डार्क स्पॉट्स को ही खत्म करने भर से ही दिल्ली में अपराध कम हो जाएंगे? ऐसा संभव नहीं है। इसके लिए जरूरी है कि :

  • दिल्ली पुलिस रात के वक्त सभी सड़कों पर गश्त की उचित व्यवस्था करे।
  • यह सुनिश्चित करना होगा कि पुलिसकर्मी हर सड़क पर मौजूद होंगे। इसके लिए जल्द से जल्द पुलिसकर्मियों की नियुक्ति होनी चाहिए।
  • दिल्ली सभी प्रमुख सड़कों को सीसीटीवी कैमरे की जद में लाने की जरूरत है।
  • यह भी सुनिश्चित करना होगा कि इन सीसीटीवी कैमरों की हर वक्त निगरानी हो।
  •  पुलिस कंट्रोल रूम को किसी भी तरह की गलत हरकत दिखे तो उसे तुरंत पीसीआर (पुलिस कंट्रोल रूम) वैन को सूचित करना होगा ताकि वक्त रहते अपराध को रोका जा सके।
  • इसके अलावा पुलिसकर्मियों को भी अपने व्यवहार में बदलाव करना होगा।
  • उन्हें लोगों से बातचीत में सौम्यता बरतनी होगी। दिल्लीवालों को भी हर तरह की सूचना पुलिसवालों को देने के लिए तैयार रहना चाहिए।
  • उन्हें भी यह समझना होगा कि दिल्ली पुलिस उनकी मदद के लिए है। दोनों ओर से जब तक हाथ नहीं बढ़ेगा तब तक अपराध को कम कर पाना मुमकिन नहीं होगा।

यह बात दिल्ली पर ही लागू नहीं होती अपितु देश के तमाम शहर जो बढती आबादी के साथ इस तरह के अपराधो का शिकार है

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