#Jagaran
generic medicines direction issued but failure in implimentation.
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) ने पहले से ही निर्देश जारी कर रखे हैं लेकिन, सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर सस्ती मिलने वाली Generic Medicines के बजाए महंगी ब्रांडेड दवाएं लिख रहे थे। उन पर कमीशन लेने का आरोप लगता तो जवाब मिलता कि दवा हम लिख भी दें तो ये मिलेंगी कहां? अब प्रदेश सरकार ने Generic Medicines के 1000 स्टोर खोलने के लिए केंद्र सरकार के साथ करार करके जनहितकारी कदम उठाया है। गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग और केंद्रीय रसायन व उर्वरक मंत्रलय के औषधि विभाग के बीच प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के सहमति पत्र पर हस्ताक्षर होने के साथ ही प्रदेश में सस्ती Generic Medicines के स्टोर खुलने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।
- ये केंद्र सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और जिला अस्पतालों में खोले जाएंगे।
- अभी इन स्टोर से उपलब्ध कराने के लिए 600 जेनरिक दवाओं की सूची बनाई गई है, जिसमें 150 सर्जिकल आइटम भी हैं।
- स्टोर खुलने के साथ ही सरकारी डॉक्टरों को पर्चो पर जेनरिक दवाएं ही लिखने के निर्देश भी दिए जा रहे हैं।
- वस्तुत: यह योजना तो 2008 में बनी थी लेकिन, 2012 तक इसके सिर्फ 140 केंद्र ही खुल पाए। पिछली सरकारों ने सिर्फ कागजों में घोषणा की, जबकि सरकार ने योजना को गति देकर देश भर में 2500 जन औषधि केंद्र खोल दिए।
- अब प्रदेश में 1000 नए केंद्र खुलने जा रहे हैं। प्रशंसनीय बात है कि जन औषधि केंद्र खोलने के लिए सभी नोडल एजेंसियों को सक्रिय कर दिया गया है और टेंडर भी तैयार हैं।
क्लस्टर के आधार पर यह केंद्र खोले जाएंगे और केंद्रों के आवंटन में बेरोजगार फार्मासिस्टों को प्राथमिकता दी जाएगी। नियम कायदों के तहत प्रदेश के अस्पतालों में कोई कॉमर्शियल गतिविधि संचालित नहीं हो सकती है लेकिन, जन औषधि केंद्र खोलने के लिए इसमें कैबिनेट से संशोधन कराया गया है। प्रदेश में इन केंद्रों का संचालन स्टेट एजेंसी फॉर कॉम्प्रेहेंसिव हेल्थ एंड इंटीग्रेटेड सर्विसेज (साचीज) द्वारा किया जा रहा है। देखने वाली बात होगी कि यह केंद्र समय से खुलें और उनमें दवाओं की उपलब्धता हर समय बनी रहे