Why in news:
नीति आयोग ने तय किया है कि देश में नए सिर से गरीबी रेखा बनाई जाए। इससे गरीबी दूर करने के लिए सरकार की तरफ से उठाए जाने वाले कदमों की कामयाबी और उसकी पहुंच पर नजर रखने में मदद मिलेगी।
Why this move:
दरअसल, देश में गरीबी रेखा के लिए बनाया गया टास्क फोर्स सालभर तक चली बहस के बाद भी किसी व्यावहारिक और स्वीकार्य उपाय पर एकमत नहीं हो पाया।
टास्क फोर्स ने हालांकि गरीबी से जुड़े सोशल सेक्टर के प्रोग्राम्स की कामयाबी का जायजा लेने के लिए आंकड़ों के इस्तेमाल को लेकर कुछ सुझाव दिए। इन सुझावों में देश की आबादी में निचले तबके के 40 पर्सेंट लोगों को गरीब करार देना था।
- आयोग की रणनीति में ये बदलाव तब हुआ है जब ज्यादातर राज्यों ने गरीबी के लिए तय न्यूनतम स्तर मानने से मना कर दिया है। उनका कहना है कि गरीबी के जो आंकड़े दिए जाते हैं वे जमीनी हकीकत वाले आंकड़ों से मेल नहीं खाते। इसलिए वे सरकार की गरीबी हटाने की योजनाओं की प्रगति का आकलन करने में कारगर साबित नहीं होंगे।
Importance of poverty line
किसी देश में गरीबी रेखा अहम होती है क्योंकि सरकार की तरफ से बनने वाली बहुत सी योजनाएं गरीबी रेखा से नीचे रहनेवालों के लिए होती है। अगर गरीबी रेखा को नीचे कर दिया जाता है तो बहुत से गरीब उन योजनाओं का लाभ लेने से वंचित रह जाते हैं। अगर उसको बहुत ज्यादा ऊपर कर दिया जाता है तो उसमें सबसे ज्यादा फायदा उनको होगा जो उनमें सबसे ऊपर के लेवल पर होंगे और जो सबसे गरीब होंगे ग्रोथ प्रोसेस का हिस्सा बनने से रह जाएंगे।
Poverty line defined by previous committee:
रंगराजन कमेटी ने देश 29.6 पर्सेंट आबादी यानी 36.3 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से नीचे करार दिया था। उन्होंने तेंदुलकर मेथडलॉजी के हिसाब से तय गरीबी रेखा को ग्रामीण इलाकों के लिए डेली प्रति व्यक्ति खर्च को 27 से बढ़ाकर 32 रुपये और शहरी इलाकों के लिए 33 से बढ़ाकर 49 रुपये कर दिया था।