आत्महत्या की कोशिश अब अपराध नहीं, संसद से पास हुआ मेंटल हेल्थ केयर बिल

- अब देश में आत्महत्या कोशिश अपराध नहीं, बल्कि मानसिक बीमारी मानी जाएगी। संसद में मेंटल हेल्थ केयर बिल पास हुआ है।
★ जिससे अब आईपीसी की धारा 309 के तहत कोई आत्महत्या की कोशिश करने वाला तब तक अपराधी नहीं होगा, जब तक ये साबित ना हो जाए कि सुसाइड की कोशिश करते वक्त वो शख्स मानसिक रूप से स्वस्थ था.
★ देश में 6 से 7 फीसदी ऐसे लोग हैं, जो मानसिक रूप से बीमार हैं.

★सदन में मानसिक स्वास्थ्य देखरेख विधेयक, 2013 :- यह विधेयक मानसिक रूप से अस्वस्थ लोगों के इलाज में दूरगामी प्रभाव छोड़ने वाला होगा. यह विधेयक मरीज केंद्रित है और इस बात पर जोर दिया गया है कि उन्हें किस प्रकार सुविधाएं दी जा सकती हैं.

★ विधेयक पर सरकार द्वारा 100 से ज्यादा संशोधन लाए जाने के औचित्य पर सरकार ने कहा कि इसमें स्थायी समिति की सिफारिशों के अलावा अदालतों और विभिन्न पक्षों के सुझावों को शामिल किया गया है. 
- इस दिशा में सरकार ने 2010 में ही शुरूआत की थी और विधेयक तैयार करने के पहले विभिन्न पक्षों के साथ व्यापक विचार विमर्श किया.

- विधेयक में सामुदायिक आधारित इलाज पर जोर दिया गया है. महिलाओं और बच्चों के लिए अलग से प्रावधान किए गए हैं.

=> परिप्रेक्ष्य :-
★ देश के करीब 6.7 प्रतिशत लोग किसी न किसी प्रकार की मानसिक बीमारी से ग्रसित हैं जबकि एक से दो प्रतिशत तक गंभीर रूप से बीमार हैं. 
- डाक्टरों और कर्मियों की कमी है और सरकार ने इस कमी को दूर करने के लिए सीटों की संख्या बढ़ाने सहित अन्य कदम उठाए हैं.
- विधेयक में मानसिक रोग से पीड़ित लोगों के अधिकारों पर जोर दिया गया है. ऐसे लोगों को विभिन्न प्रकार के अधिकार मुहैया कराने के प्रावधान विधेयक में किए गए हैं. 
- इस बात पर जोर दिया गया है कि मानसिक रूप से अस्वस्थ लोगों के साथ क्रूर आचरण नहीं हो.

- इसमें मानसिक बीमारी को परिभाषित किया गया है.  साइको सर्जरी पर रोक लगाने का प्रावधान किया गया है. 
- जिला बोर्ड से मंजूरी के बाद ही इस प्रकार की सर्जरी की जा सकेगी.

=>सुझाव:- 
1. देश में मानसिक स्वास्थ्य देखरेख के संबंध में अवसंरचना को उन्नत बनाने की सख्त आवश्यकता है 
2. मनोचिकित्सकों और विशेषज्ञों, नर्सो की संख्या बढ़ाये जाने की आवश्यकता है.
3. देश में मानसिक रोग से पीड़ित रोगियों के संदर्भ में कोई प्रामाणिक आंकड़ा नहीं है. 
4. मानसिक रोग से जुड़े सामाजिक कलंक के बोध पर ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है और इसे समाप्त करने की जररत है.

=>Conclusion
- देश में आबादी का लगभग सात प्रतिशत हिस्सा मानसिक रोग से पीड़ित है. विश्व स्वास्थ्य संगठन :डब्ल्यूएचओ: के आंकड़ों के अनुसार भारत की आबादी का 27 प्रतिशत हिस्सा अवसाद से पीड़ित है. 
- इतनी भारी संख्या में रोगियों के उपचार के लिए हमारे पास करीब 5,000 मनोचिकित्सक ही हैं.  इस विधेयक के कारण मानसिक रोगियों के उपचार के लिए संस्थानों, उत्कृष्टता केन्द्रों की संख्या बढेगी.
 सामुदायिक भागीदारी के जरिये इसका और बेहतर प्रबंधन हो सकता है और इसके लिए गैर सरकारी संगठनों की भागीदारी बढ़ाने की ओर भी ध्यान दिया जाना चाहिये.

- देश में बढ़ते मानसिक रोगियों की संख्या के लिए संयुक्त परिवार के विघटन और गरीबी को भी एक कारण बताते हुए गरीबों के सामने इस संबंध में विशेष दिक्कतें पेश आती हैं जिनके पास शिक्षा और जानकारी का अभाव है. 

- यह चिंता की बात है कि देश में प्रति चार लाख की आबादी पर केवल एक मनोचिकित्सक उपलब्ध हैं। स्वास्थ्य बजट का महज एक प्रतिशत मानसिक रोगियों के स्वास्थ्य की ओर खर्च किया जाता है जबकि अन्य देशों में इसके लिए लगभग 18 प्रतिशत हिस्से को आवंटित किया जाता है.

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